Antarvasna, kamukta: मैं अपने ऑफिस से वापस लौट रहा था तो सोचा कि महेश को फोन कर लूं। मैंने महेश को फोन किया और जब मैंने महेश को फोन किया तो महेश मुझे कहने लगा कि आज तुमने मुझे कैसे याद कर लिया। मैंने महेश को कहा कि बस ऐसे ही सोच रहा था कि काफी दिनों से तुमसे बात नहीं हो पाई है तो तुमसे फोन पर बात कर लूँ। मैंने महेश को कहा तुम आज क्या कर रहे हो तो महेश ने मुझे बताया कि मैं अपना बिजनेस शुरू कर चुका हूं। मैं और महेश एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं मैंने महेश को कहा कि ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए प्लान बनाता हूं। महेश कहने लगा कि हां क्यों नहीं तुम मुझसे मिलने के लिए जरूर आना और फिर मैंने फोन रख दिया था। मैं घर पर पहुंचा तो मैंने देखा उस दिन घर पर मां नहीं थी मैंने पापा से कहा कि पापा मां कहां है तो वह मुझे कहने लगी कि वह पड़ोस में गई हुई है थोड़ी देर बाद आती ही होगी।
मैं भी अपने रूम में चला गया और मैं अपने कपड़े चेंज करने के बाद हॉल में बैठा हुआ था कि तभी मां भी आ गई। मां ने मुझे कहा कि आकाश तुम कब आए तो मैंने मां से कहा कि मां मैं थोड़ी देर पहले ही ऑफिस से लौटा हूं उस वक्त 8:00 बज रहे थे। मैं थोड़ी देर हॉल में ही बैठा हुआ था उसके बाद मैं रूम में चला गया। मैं जब रूम में गया तो उसके थोड़ी देर के बाद ही मां ने मुझे आवाज देते हुए कहा कि आकाश बेटा खाना खाने के लिए आ जाओ। मैं भी डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था मां ने खाना लगा दिया था और हम सब लोगों ने साथ में डिनर किया। डिनर करने के बाद मैं अपने रूम में आ गया और अगले दिन मुझे अपने ऑफिस जल्दी जाना था तो मैंने मां से कहा कि मुझे कल ऑफिस जल्दी जाना है। मां ने कहा कि ठीक है मैं तुम्हारे लिए कल सुबह जल्दी नाश्ता बना दूंगी। अगले दिन सुबह जब मैं तैयार हुआ तो मां मेरे लिए नाश्ता बना चुकी थी मां ने मुझे टिफिन दिया और कहा कि बेटा तुम ऑफिस से तो टाइम पर आ जाओगे। मैंने मां से कहा कि हां मां मैं ऑफिस से टाइम पर आ जाऊंगा।
पापा और मां को उनके किसी दोस्त के घर जाना था तो उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम टाइम पर आ जाना मैंने कहा कि ठीक है मैं जल्दी घर आ जाऊंगा। उस दिन जब मैं घर पहुंचा तो मां ने मुझसे कहा कि बेटा हम लोग रात तक लौट आएंगे मैंने मां से कहा कि ठीक है। मां ने मेरे लिए खाना बना दिया था और फिर वह लोग चले गए थे। मैं घर पर अकेला ही था तो मैंने खाना खाया फिर मैं अपने रूम में चला गया। मैं अपने फोन में अपनी कुछ पुरानी तस्वीर देख रहा था उसमें मुझे सुनैना की तस्वीर दिखी। सुनैना जो कि हमारे साथ कॉलेज में पढ़ा करती थी उससे मेरा काफी सालों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। ना तो मेरी उससे कोई बात हुई थी और ना ही मेरी उससे कोई मुलाकात हो पाई थी। मैंने उस दिन अपने दोस्त गौतम को फोन किया और जब मैंने उस दिन गौतम को फोन किया तो गौतम ने मुझे कहा कि मैं सोच ही रहा था कि मैं तुमसे बात करूँ।
मैंने गौतम को कहा कि गौतम क्या हम लोग कल मुलाकात कर सकते हैं तो वह मुझे कहने लगा कि हां क्यों नहीं और अगले दिन हम लोगों ने मिलने का फैसला किया। मैं गौतम को मिलकर काफी खुश था। गौतम से मैं काफी समय के बाद मिल रहा था लेकिन उससे मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और गौतम भी बहुत ज्यादा खुश था। मैं उस दिन घर वापस लौट आया था और उस दिन मैंने सुनैना का नंबर गौतम से ले लिया था। मैंने उस दिन सुनैना को फोन किया सुनैना से काफी समय बाद मेंरी बात हो रही थी इसलिए वह पहले तो मुझे पहचान ही नहीं पाई लेकिन फिर सुनैना ने मुझे पहचान लिया था। अब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मैंने सुनैना को कहा कि ऐसे ही तुम्हारे बारे में सोच रहा था तो मैंने गौतम से तुम्हारा नंबर ले लिया। सुनैना मुझे कहने लगी कि तुमने बहुत ही अच्छा किया। सुनैना चंडीगढ़ में रहती है और उसने मुझे बताया कि वह वापस दिल्ली आ रही है। सुनैना चंडीगढ़ में नौकरी करती थी और अब उसकी नौकरी दिल्ली में लग चुकी थी।
सुनैना बहुत ही ज्यादा खुश थी और मुझे भी बहुत ही अच्छा लगा जब उस दिन मैंने सुनैना से फोन पर बातें की। सुनैना से मेरी बात अब काफी दिनों तक हो नहीं पाई थी लेकिन जब वह दिल्ली आई तो उसने मुझे फोन किया। सुनैना ने मुझसे मिलने की बात कही तो मैं उससे मिलने के लिए चला गया। जब मैं सुनैना को मिलने के लिए गया तो उस दिन सुनैना को देखकर मैं उसे पहचान ही नहीं पाया क्योंकि वह पूरी तरीके से बदल चुकी थी। सुनैना पहले बहुत ही सिंपल थी लेकिन उस दिन सुनैना को देख कर मुझे बहुत ही अच्छा लगा। सुनैना अब पूरी तरीके से बदल चुकी है और उसके अंदर काफी बदलाव आ चुका था लेकिन अभी भी उसका स्वभाव पहले की तरह ही है। उस दिन हम दोनों ने एक दूसरे से जब मुलाकात की तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा और मुझे भी इस बात की बड़ी खुशी थी कि सुनैना और मैं एम दूसरे के साथ अच्छा समय बिता पा रहे थे। उस दिन के बाद हम लोगों का मिलना हमेशा ही होने लगा और हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बहुत अच्छा लगता। मैं सुनैना से मिलकर बहुत खुश हूं हम लोगों की मुलाकातों का दौर बढ़ने लगा था। कहीं ना कहीं हम दोनों के बीच प्यार भी पनपने लगा था यही वजह थी कि मैं और सुनैना एक दूसरे के साथ अब ज्यादा समय बिताने की कोशिश करने लगे थे।
हम लोग जब भी एक दूसरे के साथ में होते तो हम दोनों बहुत ही खुश होते। मैं और सुनैना एक दूसरे से अपनी हर एक बात शेयर करने लगे थे। सुनैना को मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ अपने रिलेशन को शुरू किया है वह हम दोनों के लिए बहुत ही अच्छा है। अब हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे हैं और मैं सुनैना के साथ रिलेशन में बहुत ही खुश हूं। सुनैना और मैं रिलेशन में बहुत ही ज्यादा खुश हैं। हम दोनों के बीच प्यार बहुत ही ज्यादा है लेकिन अब कहीं ना कहीं मुझे और सुनैना को एक दूसरे का साथ अकेले में समय बिताना अच्छा लगने लगा था। एक दिन मैं सुनैना के घर पर गया हुआ था। उसने मुझे अपने घर पर बुलाया था। उस दिन ना जाने मेरे अंदर सुनैना को लेकर क्या चल रहा था और सुनैना भी इस बात से बड़ी खुश थी। हम दोनों अकेले में समय बिता पा रही है लेकिन जब मैं अपने अंदर की गर्मी को रोक ना सका तो सुनैना के होठों को मैं चूमने लगा। वह पूरी तरीके से गर्म होती चली गई और उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ती चली गई।
वह बोली मैं रह नहीं पा रही हूं मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था और मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी मैंने सुनैना कि चूत मे अपने लंड को घुसाने का फैसला कर ही लिया था। जब मैंने सुनैना के स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह मचलने लगी और उसकी चूत से निकलती हुई गर्मी भी बहुत ज्यादा बढने लगी थी। वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। जब मैंने सुनैना से उसके कपड़े उतारने की बात कही तो वह अपने कपड़े उतारकर मेरे सामने नग्न अवस्था मे थी और हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। मैंने सुनैना की गर्मी को बढ़ा दिया था और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। मैंने जब उसके स्तनों को चूसना शुरू किया तो वह मजे में आने लगी और उसकी गर्मी बढ़ने लगी थी। मैंने उसके सामने अपने लंड को किया तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेने के लिए तड़पने लगी। वह जिस तरीके से मेरे लंड को सकिंग कर रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था और सुनैना को बहुत ही अच्छा लग रहा था जब वह मेरे लंड को अच्छे से चूस रही थी। उसने मेरे मोटे लंड से पानी निकाल दिया था। वह मेरे लंड को पूरी तरीके से गिला कर चुकी थी। मैंने सुनैना की पैंटी को नीचे उतारकर उसकी चूत को चाटना शुरू किया और उसकी योनि को चाटकर मुझे मजा आने लगा था। मैं उसकी चूत को जिस तरीके से चाट रहा था उससे वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था।
मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैंने सुनैना की चूत पर अपने लंड को लगाया और उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकल रहा था। मैंने धीरे धीरे कर के उसकी चूत के अंदर लंड को डालना शुरू कर दिया। मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया तो उसे मज़ा आने लगा और मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करने लगा था। सुनैना बहुत ही ज्यादा खुश हो चुकी थी और मैं भी बहुत ज्यादा मजे में था जिस तरीके से मैं और सुनैना एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे ले रहे थे। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाते जा रहे थे। जिस तरीके से हम लोगों ने एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा दिया था उससे हम दोनों बहुत ही ज्यादा मजे में आ चुके थे। मेरी गर्मी बढ़ चुकी थी मेरे लंड से मेरा माल बाहर की तरफ को निकलने लगा था। अब मेरा वीर्य बाहर की तरफ को निकाल रहा था। मैंने सुनैना से कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराना चाहता हूं। मैंने अपने वीर्य को सुनैना की चूत मे गिरा दिया था।