Antarvasna, hindi sex story: मेरे पिताजी कुछ समय पहले ही रिटायर हुए थे और वह अब घर पर ही रहते हैं, पापा चाहते हैं कि मैं शादी कर लूं। घर में बड़े होने की वजह से मुझे शादी के लिए पापा और मम्मी ने कहा तो मैंने भी उन लोगों की बात मान ली और मैं शादी करने के लिए तैयार था। जब मैं पहली बार आशा से मिला तो आशा से मिलकर मुझे अच्छा लगा। आशा के परिवार को पापा और मम्मी पहले से ही जानते हैं लेकिन आशा के परिवार से और आशा से मैं पहली बार ही मिला था। मुझे आशा से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा हम दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार थे। हम दोनों की सगाई हो गई थी और उसके कुछ ही महीनों बाद हम दोनों की शादी भी हो गई। हम दोनों की शादी को हुए अभी कुछ महीने ही हुए हैं और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं।
मैं ज्यादा समय आशा के साथ ही बिताने की कोशिश करता हूं और आशा को भी इस बात से बड़ी खुशी है। हम दोनों की शादी को 6 महीने हो चुके थे और मेरा ट्रांसफर अब कोलकाता हो चुका था। मैं स्कूल में टीचर हूं और मेरा ट्रांसफर कोलकाता हो जाने की वजह से मुझे कोलकाता जाना पड़ा। जब मैं कोलकाता गया तो वहां पर शुरुआत में मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा मैं अपने घर को और अपने परिवार को बहुत मिस कर रहा था। समय बीत जाने के साथ साथ मैं अब कोलकाता में अपने आप को एडजेस्ट कर पा रहा था और आशा भी मेरे साथ रहने लगी थी। मैं काफी खुश था कि आशा और मैं साथ में रहते हैं। आशा ने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए घर जा रही हूं क्योंकि पापा की तबीयत ठीक नहीं है। मैंने आशा को कहा की मैं भी छुट्टी ले लेता हूं। मैंने जब आशा से इस बारे में कहा तो आशा मुझे कहने लगी ठीक है अगर आप छुट्टी ले लेंगे तो हम लोग साथ में चलते हैं।
मैंने अब छुट्टी ले ली थी और हम दोनों कुछ समय के लिए चंडीगढ़ आ गए। जब हम लोग चंडीगढ़ आए तो मैं और आशा, आशा के घर पर गए उसके पापा की तबीयत काफी ज्यादा खराब थी और वह हॉस्पिटल में एडमिट थे। हम लोग कुछ दिनों तक आशा के घर पर रहे और फिर मैं अपने घर आ गया था आशा अभी भी अपने मायके में ही थी। मैं कुछ समय घर पर रहा लेकिन मुझे वापस कोलकाता भी जाना था परंतु आशा चाहती थी कि वह कुछ समय अपनी फैमिली के साथ ही बिताए। मैंने आशा को कहा कि ठीक है अगर तुम अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहती हो तो इसमें मुझे कोई परेशानी नहीं है। मैं अकेले ही कोलकाता चला गया था कोलकाता जाने के बाद एक दिन मेरे साथ स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर जिनका नाम अवधेश है वह घर पर आए हुए थे अवधेश ने उस दिन मुझे कहा कि कभी आप घर पर डिनर के लिए आइएगा। मैंने उन्हें कहा कि हां ठीक है और जब एक दिन मैं अवधेश के घर पर गया तो उस दिन मैंने उनके घर पर ही डिनर किया। अवधेश के साथ मेरी काफी अच्छी बनती है इसलिए मैं उनसे अपनी हर एक बात शेयर कर लिया करता हूं।
मेरा उनके घर पर अक्सर आना जाना भी लगा रहता है और वह भी मेरे घर पर आ जाया करते हैं। आशा भी अब वापस लौट आई थी और जब आशा वापस लौटी तो उसके बाद मैं और आशा एक दिन घूमने के लिए गए। आशा के पापा की तबीयत काफी ठीक थी और आशा भी खुश थी कि उसके पापा की तबीयत अब ठीक हो चुकी है। मैं और आशा उस दिन जब साथ में थे तो हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और मुझे काफी लंबे समय बाद आशा के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिल पाया। आशा बहुत खुश थी उस दिन आशा और मैं साथ में बैठे हुए बातें कर रहे थे हम लोग मॉल में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो हम दोनों को अच्छा लग रहा था। कुछ देर बाद हम लोग घर लौट आए थे, जब हम लोग घर लौटे तो उस दिन हमारे पड़ोस में रहने वाली फैमिली के घर पर एक छोटा सा प्रोग्राम था और उन्होंने हमें भी बुलाया था मैं और आशा भी उनके घर पर चले गए।
वह लोग कुछ समय पहले ही हमारे पड़ोस में रहने के लिए आए थे हम लोगों का उनसे ज्यादा परिचय तो नहीं था लेकिन अब हम लोगों का रोहित और मालती से अच्छा परिचय होने लगा था। उस दिन के बाद हम लोग भी उन्हें घर पर बुला लिया करते और मालती और आशा की काफी अच्छी बनने लगी थी। मालती और आशा साथ में अच्छा समय बिताते क्योंकि आशा घर पर अकेले बोर हो जाया करती थी इसलिए मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी कि आशा और मालती साथ में अच्छा समय बिता पाते हैं। एक दिन मालती हमारे घर पर आई हुई थी जब उस दिन वह घर पर आई तो मैंने मालती से पूछा कि रोहित कहां है। मालती ने कहा कि वह कुछ समय के लिए अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं। मैंने मालती से कहा कि रोहित वहां से कब वापस लौटेंगे तो मालती ने कहा कि वह वहां से तीन चार दिन में वापस लौट आएंगे। मैंने मालती को कहा कि ठीक है जब रोहित वापस आ जाएगा तो मुझे बता दीजिएगा रोहित से मुझे जरूरी काम था। मालती ने कहा कि जब वह वापस आ जाएंगे तो मैं रोहित को कह दूंगी कि वह आपसे मिल ले मैंने मालती से कहा हां तुम रोहित को यह कह देना।
अब मैं अपने रूम में चला गया था आशा और मालती साथ में बैठे हुए थे और वह लोग बातें कर रहे थे। जब वह लोग बातें कर रहे थे तो मैं अपने रूम में बैठा हुआ टीवी देख रहा था और थोड़ी देर के बाद मालती भी चली गई। उसके बाद आशा बेडरूम में मेरे साथ बैठी हुई थी और हम दोनों बैठे हुए थे तो आशा ने मुझे कहा कि क्या मैं आपके लिए चाय बना दूं। मैंने आशा को कहा नहीं मेरा चाय पीने का मन नहीं है रहने दो और हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे। जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो मैंने अपने हाथ को आशा की ओर बढ़ाया और आशा को अपनी ओर खींचा। आशा भी गर्म होने लगी थी और मैं उसके होंठों को चूम कर उसकी गर्मी को बढ़ाने लगा। उस दिन मैंने आशा के साथ बहुत ही अच्छे से सेक्स के मज़े लिए और अगले दिन जब मैं मालती के घर पर गया था तो मालती के घर का दरवाजा खुला हुआ था। मैं अंदर चला गया मालती अपने कपड़े बदल रही थी और मालती के गोरे बदन को देखकर मैं बिल्कुल भी रह ना सका। मैंने उसके साथ सेक्स करने के बारे में सोच लिया था वह भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी वह तड़पने लगी थी।
मैं भी बहुत ज्यादा गर्म होता जा रहा था मैंने मालती की गर्मी को बढ़ाना शुरू कर दिया था और मालती भी खुश हो चुकी थी। वह मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढाने लगी थी। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी जब मैंने मालती की चूत पर अपने लंड को टच किया तो मालती मुझे कहने लगी तुम मेरी चूत में लंड घुसा दो। मालती बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था इसलिए मैंने भी मालती की चूत के अंदर अपने लंड को घुसाते हुए उसे तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे। जिस तरीके से मै मालती को चोद रहा था उससे वह सिसकारियां लेकर मेरी गर्मी को बढ़ाती जा रही थी और मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी। मैं और मालती एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाते जा रहे थे जब हम दोनों की गर्म बढने लगी तो मैंने मालती से कहा मुझे बहुत मजा आने लगा है। अब मैं मालती के दोनों पैरों को चौड़ा कर के उसकी चूत के अंदर अपने लंड को तेजी से किए जा रहा था और मालती का बदन बहुत ज्यादा गर्म हो चुका था।
मैं पूरी तरीके से गर्म होने लगा था और मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा था। वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करने लगी थी। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे तेजी से धक्के देते जाओ। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बहुत ज्यादा बढ़ा रहे थे मैंने मालती की चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराने का फैसला कर लिया था। जब मैंने मालती की योनि के अंदर आपने वीर्य को गिराया तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ गया और मालती भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम लोगों ने सेक्स के मजे लिए थे। उस दिन के बाद मालती और मेरे बीच सेक्स संबंध बनने लगे थे लेकिन यह बात कभी भी हमने किसी को पता नहीं चलने दी।
मुझे जब भी मालती के साथ सेक्स करना होता तो मैं मालती के घर पर चला जाया करता हूं। हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स के मज़े ले लिया करते है। आशा के साथ भी मेरी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छे से चल रही है और मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। हम दोनों एक दूसरे को के साथ खुश है। मैं आशा के साथ भी सेक्स के मजे लेता रहता हूं। हम दोनों के बीच हमेशा ही साथ संबंध बनते हैं जब मुझे मालती को चोदना होता तो मैं मालती के घर पर चला जाया करता और मेरी जिंदगी बहुत ही अच्छे से चल रही है। मैं बहुत ज्यादा खुश हूं जिस तरीके से मैं और मालती एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाते हैं और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश हैं।