Antarvasna, hindi sex stories: मैं रेलवे स्टेशन पर बैठा ट्रेन का इंतजार कर रहा था लेकिन अभी भी ट्रेन आई नहीं थी और मैं स्टेशन पर ही बैठा हुआ था। मैंने अपनी घड़ी में समय देखा तो उस वक्त रात के 10:00 बज रहे थे। मैं कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद अपने काम से गया हुआ था और अब मैं मुंबई वापस लौट रहा था लेकिन ट्रेन अभी तक आई नहीं थी। करीब आधे घंटे के बाद ट्रेन आ गई और जब ट्रेन आई तो मैंने अपना सामान ट्रेन में रखा और मैं अपनी सीट पर बैठ गया। मैं जैसे ही अपनी सीट पर बैठा तभी मुझे पापा का फोन आया और वह कहने लगे कि राकेश बेटा तुम कहां हो। मैंने उन्हें बताया कि मैं ट्रेन में हूं और कल तक मैं मुंबई पहुंच जाऊंगा पापा कहने लगे कि हां मैंने तुम्हें इसीलिए फोन किया था। मैंने पापा को कहा कि कल मैं मुंबई पहुंच जाऊंगा और अगले मैं मुंबई पहुंच चुका था। जब अगले दिन मैं मुंबई पहुंचा तो मैंने रेलवे स्टेशन से टैक्सी ली और उसके बाद मैं अपने घर चला आया।
जब मैं अपने घर पर गया तो पापा घर पर नहीं थे मैंने मां से पूछा कि मां पापा कहां है तो मां ने कहा कि वह बस कुछ देर पहले ही अपने दोस्त से मिलने के लिए गए हैं। मैंने अपने कपड़े चेंज किए और उसके बाद मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम कुछ खा लो। मां ने मेरे लिए खाना बना दिया और मैं खाना खाने के बाद कुछ देर मां के साथ बैठा रहा तभी पापा भी आ चुके थे। जब पापा आए तो पापा और मैं एक दूसरे से बातें करने लगे पापा ने मुझे कहा कि बेटा आज हम लोग तुम्हारे मामा जी से मिलने के लिए जा रहे हैं। मैंने पापा से कहा कि मैं भी आज आपके साथ मामा जी से मिलने आता हूं काफी समय हो गया था मैं मामाजी को मिला नहीं था। उस रात हम लोग मामा जी के घर चले गए काफी लंबे समय बाद मैं मामा जी से मुलाकात कर रहा था तो मामा जी को भी बहुत अच्छा लगा। मुझे भी बड़ा अच्छा लगा था जब मैं मामा जी से मिला था उस दिन हम लोगों ने मामा जी के घर पर ही डिनर किया और फिर हम लोग घर लौट आए।
जब हम लोग घर लौटे तो मैं कुछ देर अपने फेसबुक मैसेंजर से अपने दोस्तों से बात कर रहा था। काफी लंबे समय बाद मेरी अपने दोस्तों से बात हो रही थी उसी दिन जब मेरी बात सुरभि के साथ हुई तो मुझे सुरभि से बात कर के बहुत अच्छा लगा। सुरभि और मैं स्कूल में साथ में पढ़ा करते थे लेकिन हम लोगों का काफी समय से कोई संपर्क नहीं था। सुरभि भी मुंबई में ही रहती है और उस दिन जब सुरभि ने मुझसे बात की तो मैंने सुरभि से कहा कि कभी तुम्हारे पास समय हो तो मुझे जरूर मिलना, सुरभि ने कहा कि हां क्यों नहीं। यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक था कि एक दिन सुरभि मुझे मेरी कॉलोनी में ही मिली। जब सुरभि मुझे मिली तो मैंने सुरभि से पूछा कि क्या तुम यहां किसी से मिलने आई थी तो सुरभि ने मुझे बताया कि हमारी कॉलोनी में उसकी एक सहेली रहती है। मैंने सुरभि से उस दिन काफी देर तक बात की और सुरभि से बात कर के मुझे बहुत ही अच्छा लगा। सुरभि से बात कर के मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और सुरभि को भी बड़ा अच्छा लगा था जब वह मेरे साथ बात कर रही थी।
उस दिन के बाद मैं और सुरभि एक दूसरे को अक्सर मिलने लगे थे जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता। सुरभि को भी बहुत ही अच्छा लगता जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिला करते। सुरभि और मैं एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं और अब हम लोगों के बीच कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ने लगी थी। यही वजह थी कि मैं सुरभि को अक्सर मिला करता था और सुरभि भी मुझसे मिलने लगी थी। कहीं ना कहीं हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए प्यार उभरने लगा था और यह प्यार अब काफी ज्यादा बढ़ने लगा था। जिस तरीके से सुरभि मेरा ध्यान रखती तो मैं सुरभि को बहुत ज्यादा प्यार करने लगा था। एक दिन मैंने सुरभि से अपने प्यार का इजहार कर ही दिया जब मैंने सुरभि से अपने प्यार का इजहार किया तो वह बहुत ज्यादा खुश थी और मैं भी काफी खुश था। सुरभि भी मुझे मना ना कर सकी सुरभि बहुत ही बिंदास किस्म की है। वह एक दिन मेरे साथ बैठी हुई थी जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो सुरभि ने मुझसे कहा कि वह कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद जा रही है।
मैंने सुरभि से कहा कि क्या वह किसी जरूरी काम से अहमदाबाद जा रही है तो सुरभि ने मुझे बताया कि वहां पर उसके किसी रिलेटिव की शादी है। मैंने सुरभि से कहा कि मुझे भी कुछ दिनों के बाद अहमदाबाद जाना है तो हम लोग अहमदाबाद में ही एक दूसरे से मिलते हैं। सुरभि ने कहा कि ठीक है क्योंकि सुरभि को अगले दिन ही अमदाबाद जाना था और वह अपनी फैमिली के साथ अहमदाबाद जा चुकी थी। मुझे दो दिन बाद अहमदाबाद जाना था और जब दो दिनों के बाद मैं अहमदाबाद गया तो मैं सुरभि से मिला सुरभि से मिलकर मुझे अच्छा लगा। मैं करीब दो दिन तक अहमदाबाद में रहा और फिर मैं वापस लौट आया था लेकिन सुरभि अभी भी अहमदाबाद में ही थी और मेरी उससे फोन पर ही बातें हो रही थी।
मैंने सुरभि से कहा कि तुम मुंबई कब वापस आ रही हो तो उसने मुझे कहा कि मैं जल्द ही मुंबई वापस आ रही हूं। सुरभि जब मुंबई वापस आई तो उस दिन सुरभि का जन्मदिन था और मैं चाहता था कि सुरभि के बर्थडे को हम लोग बड़े ही अच्छे से सेलिब्रेट करें। मैंने और सुरभि ने उसके जन्मदिन को सेलिब्रेट किया तो सुरभि भी बड़ी खुश थी और मुझे भी बहुत अच्छा लगा जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ उस दिन समय बिताया था। सुरभि और मैं एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं और हम दोनों के बीच बढ़ती नजदीकियां दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही थी। हम चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे से शादी कर ले लेकिन मैं चाहता था कि हम दोनों थोड़ा समय एक दूसरे को दें जिससे कि हम दोनों एक दूसरे को और अच्छे से समझ पाए। सुरभि भी मेरी बात मान गई और हम दोनों ने एक दूसरे से शादी करने का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दिया था।
सुरभि के परिवार वालों को भी इस बात का पता था कि सुरभि और मेरे बीच रिलेशन है और मेरे परिवार को भी सुरभि के बारे में मालूम था। हमारे रिश्ते से किसी को भी कोई एतराज नहीं था हम दोनों एक दूसरे को रोज मिलते। जब भी एक दूसरे के साथ हम दोनों होते तो हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते। सुरभि और मैं एक दूसरे को काफी ज्यादा प्यार करते हैं जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते है तो हमें बड़ा ही अच्छा लगता है। जब भी सुरभि और मेरी बात फोन पर होते है तो हम दोनों एक दूसरे को गर्म करने की कोशिश किया करते कई बार हम लोगों के बीच फोन सेक्स भी होता। मैंने कई बार सुरभि से बात करते हुए हस्तमैथुन का मजा भी लिया। अब मुझे लगने लगा था सुरभि और मुझे सेक्स करना चाहिए था। हम दोनों ने सेक्स करने के बारे में सोचा क्योंकि हम दोनों की रजामंदी थी इसलिए किसी को कोई भी ऐतराज नहीं था। हम दोनों उस दिन सेक्स करने के लिए तैयार थे क्योंकि सुरभि मुझसे बहुत प्यार करती है वह मुझ पर बहुत भरोसा भी करती है इसलिए हम दोनों उस दिन एक साथ ही रुके। जब सुरभि के होंठो को चूमना शुरु किया तो मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ थे।
हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा रहे थे। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला सुरभि ने उसे अपने मुंह में ले लिया और वह मेरे लंड को चूसने लगी। हम दोनों होटल में रुके हुए थे मैं जिस तरीके से सुरभि की गर्मी को बढाता उससे हम दोनों को मजा आने लगा था। सुरभि ने मेरे लंड को बडे अच्छे से चूसा उसने मेरे लंड से पानी भी बाहर निकाल दिया था। मैंने जैसे ही सुरभि की चूत पर अपने लंड को सटाया तो वह उत्तेजित होने लगी थी। हम दोनों रह नहीं पा रहे थे मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लेना चाहते थे। मैं अपने लंड को अंदर बाहर किए जा रहा था। मेरा लंड सुरभि की चूत में जा रहा था मैं उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाने लगा था। सुरभि और मैं बहुत ही ज्यादा गरम हो चुके थे अब हम दोनों अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे। मैं ना तो अपने आपको रोक पाया और ना ही सुरभि अपने आपको रोक पाई। मैंने अपने माल को सुरभि के चूत में गिरा दिया था। जब मेरा माल सुरभि की चूत में गिरा तो उसके बाद उसने मेरे लंड को दोबारा से सकिंग करना शुरू किया।
मेरे लंड खड़ा हो चुका था और सुरभि ने मेरे लंड को बहुत ही अच्छे से चूसा। उसके बाद मैंने सुरभि को घोड़ी बनाया और सुरभि की योनि से खून निकल रहा था। मैंने उसकी चूत में लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा था और सुरभि को भी मजा आ रहा था। वह जिस तरीके से मेरा साथ दे रही थी उससे हम दोनों को बहुत ही ज्यादा खुश थी। सुरभि अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाए जा रही थी। जब वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाती तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आता और सुरभि की चूत से पानी बाहर निकलता जा रहा था। मैं उसे तेजी से धक्के मारता मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज होने लगे थे। मैंने आपने माल को सुरभि की चूत में गिराकर अपनी इच्छा को पूरा कर लिया था और सुरभि की भी इच्छा पूरी हो चुकी थी। उस दिन के बाद सुरभि और मेरे बीच सेक्स संबंध बनते ही रहते थे। हम दोनों को बड़ा ही मजा आता जिस तरीके से हम दोनो सेक्स के मजे लिया करते।