Antarvasna, kamukta: कुछ समय पहले ही मेरी जॉब लगी थी और मैं अपनी जॉब से बहुत खुश थी मुझे सुबह के वक्त मेरे भैया ऑफिस छोड़ते हैं क्योंकि उनका ऑफिस भी मेरे ऑफिस से थोड़ी दूरी पर ही था इसलिए वह मुझे अपने साथ ही लेकर जाते थे। मैं जिस ऑफिस में काम करती थी उसी ऑफिस में मेरी एक सहेली है जिसका नाम पायल है उसे मैं पहले से ही जानती थी पायल और मैं एक दूसरे को पहले से ही जानते थे इसलिए पायल के घर पर भी मैं अक्सर जाने लगी। पहले मैं पायल के घर पर कभी जाती नहीं थी लेकिन अब मैं पायल के घर पर भी जाने लगी थी और वह भी मेरे घर पर आ जाया करती थी। एक दिन पायल ने मुझसे कहा कि सुनीता क्या तुम आज रात को मेरे साथ ही रह सकती हो मैंने पायल से कहा लेकिन पायल क्यों क्या तुम घर पर अकेली हो। वह मुझे कहने लगी कि हां पायल आज मेरे मम्मी पापा कहीं गए हुए हैं और मुझे अकेले बहुत डर लगता है मैंने पायल से कहा लेकिन मुझे इस बारे में अपनी मम्मी से पूछना पड़ेगा पायल कहने लगी कि हां तुम पूछ लो।
मैंने अपनी मम्मी को फोन कर के पूछा पहले तो मेरी मम्मी मुझे मना कर रही थी लेकिन फिर मैंने उनसे कहा तो वह मान गई और मैं उस दिन पायल के साथ ही रुक गयी। मैं पहली बार ही पायल के साथ रुकी थी और हम लोग जब ऑफिस से घर लौटे तो उसके बाद हम लोग घर पर खाना बनाने की तैयारी करने लगे। मैं पायल के साथ बैठ कर बात कर रही थी हम दोनों ने साथ में खाना बनाया और उस दिन मुझे पायल ने बताया कि हमारे ही ऑफिस में काम करने वाले संजय को पायल बहुत पसंद करती हैं। मैंने पायल से कहा अच्छा तो इसीलिए तुम संजय से कम बातें किया करती हो पायल मुझे कहने लगी कि अब तुम्हें जो भी लगे लेकिन मैं संजय को बहुत पसंद करती हूं और जब से मैंने पहली बार उसे देखा था तब से ही मैं उसे दिल ही दिल चाहने लगी थी। मैंने पायल से कहा लेकिन तुम्हें संजय को यह बात कहनी चाहिए और पायल ने मुझे भी तो यह बात पहली बार ही बताई थी।
मैंने पायल से कहा लगता है मुझे ही तुम्हारी मदद करनी पड़ेगी और अगले दिन से मैंने संजय को कहा कि वह हमारे साथ ही लंच किया करें हम लोग साथ में ही लंच किया करते थे। पायल और संजय की भी बात होने लगी थी और जब वह दोनों बातें करने लगे तो उन दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा और वह दोनों एक दूसरे के साथ काफी अच्छे से बात किया करते धीरे धीरे उन लोगों के बीच में प्यार होने लगा। एक दिन संजय ने अपने प्यार का इजहार पायल से कर दिया पायल इस बात से बहुत खुश थी और उस दिन उसने मुझे कहा कि यह सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है। मुझे भी लगा कि मेरी वजह से पायल और संजय इतने करीब आ पाये और उन दोनों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात कही और वह दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे। जब भी वह दोनों एक दूसरे के साथ होते तो वह दोनों बहुत ही अच्छे से समय बिताया करते। एक दिन मैं अपने भैया के साथ घर से ऑफिस जा रही थी तो उस दिन आगे से एक तेज रफ्तार से गाड़ी आ रही थी जिससे कि भैया ने बड़ी ही तेजी से ब्रेक मारा और गाड़ी फिसल गई। भैया की बाइक फिसल चुकी थी और भैया नीचे गिर गये मैं भी नीचे गिर चुकी थी जब उस कार से एक नौ जवान लड़का बाहर निकल कर आया तो मैं उसे ही देखती रही पहली ही नजर में मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उसे पसंद करने लगी हूं। उसने हम दोनों को उठाया और उसने भैया से माफी मांगी भैया ने उससे कहा तुम रॉन्ग साइड से आ रहे थे तो उसने भैया से कहा हां मैं रॉन्ग साइड से आ रहा था और इसमें मेरी ही गलती है। उसने भैया से इस बात के लिए माफी मांगी और उसके बाद वह वहां से चला गया मैं तो सिर्फ उसके बारे में ही सोच रही थी और जब उस दिन मैं ऑफिस पहुंची तो मैंने पायल को इस वाक्य के बारे में बताया। पायल कहने लगी कि क्या तुमने उस लड़के को देखा है मैंने उसे बताया हां उस लड़के की शक्ल तो मैं कभी भूल ही नहीं सकती वह तो मेरे दिल पर छप चुकी है लेकिन मुझे नहीं पता था कि क्या उसके बाद वह मुझे मिल भी पाएगा या नहीं। एक दिन मैं पायल के साथ ही मॉल में चली गई उस दिन हम लोग मॉल में बैठकर संजय का इंतजार कर रहे थे संजय भी थोड़ी देर बाद आने ही वाला था।
संजय जब वहां पर आया तो वह हमारे साथ बैठकर बातें करने लगा और उसने पायल से पूछा कि क्या तुमने कुछ शॉपिंग की है तो पायल कहने लगी नहीं हम लोग तो सिर्फ तुमसे मिलने के लिए आए थे लेकिन हमने भी सोचा कि क्यों ना हम लोग थोड़ी बहुत शॉपिंग कर ले। हम लोग अब मॉल के आउटलेट में चले गए और वहां पर हम लोग शॉपिंग कर रहे थे मैंने देखा की संजय किसी लड़के से बात कर रहा था तो मैंने पायल से कहा कि संजय किसी से बात कर रहा है। हम लोग जब संजय के पास गए तो मैंने देखा वह वही लड़का था जिसे मैंने उस दिन देखा था मैंने यह बात पायल को बताई। संजय जब हमारी तरफ आया तो उसने हर्षित से मुझे मिलवाया और उसने पायल का परिचय भी उससे करवाया मेरे लिए तो यह बड़ा ही खुशी का पल था क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हर्षित से मैं कभी मिल भी पाऊंगी। जब संजय ने हमे बताया की हर्षित उसका दोस्त है तो मैं इस बात से और भी खुश हो गई लेकिन अब मुझे हर्षित से बात करनी थी और उसमें मेरी मदद पायल ने ही की, पायल ने ही हर्षित से मेरी बात करने में मेरी मदद की। पायल ने संजय को इस बारे में बता दिया था और उन दोनों की मदद से ही हर्षित और मैं अब एक दूसरे के नजदीक आ गए।
हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे और एक दूसरे से मुलाकात भी करने लगे थे हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता। जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हमें बहुत ही खुशी होती। हर्षित और मैं दूसरे के बहुत करीब आ चुकी थी इसलिए हम दोनों के रिश्ते मे और भी ज्यादा मिठास पैदा होने लगी। हम दोनों एक दूसरे से काफी समय तक ऐसे ही छुप छुप कर मिलते रहे लेकिन हर्षित चाहता था कि हम लोग साथ में कहीं घूमने के लिए जाए। हर्षित ने मुझे कहा मैंने उसे मना कर दिया। मैंने हर्षित को कहा मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकती। हर्षित मुझे कहने लगा तुम मुझे प्यार भी करती हो या नहीं। मैंने उसे कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। वह चाहता था कि हम लोग कुछ दिनों के लिए कहीं अकेले में समय बिताए। मैंने किसी प्रकार से बहाना बनाते हुए हर्षित से मिलने का फैसला कर लिया था और हम लोग उस दिन पायल के घर पर मिले। पायल ने हमारी बहुत मदद की पायल के घर पर कोई भी नहीं था क्योंकि उसके पापा का ट्रांसफर लुधियाना हो चुका था जिस वजह से उसकी मम्मी भी उसके पापा के साथ गई हुई थी। मेरे और हर्षित के लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों एक ही कमरे में थे। मै उस दिन हर्षित की बाहों में लेटी हुई थी हर्षित मेरे स्तनों को दबाने लगा। वह जब मेरे स्तनों को दबा रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने जिस प्रकार से मेरी गर्मी को बढ़ाया मैंने उसके लंड को बाहर निकाला मैंने जब उसके मोटे लंड को देखा तो मैंने उसे कहा तुम्हारा लंड बहुत ही ज्यादा होता है। वह कहने लगा मेरे लंड को तुम अपने मुंह में ले लो उसने मुझसे कहा तो मैंने भी अपने मुंह के अंदर उसके लंड को समा लिया। मैं उसके मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था जिस प्रकार से मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मैंने काफी देर तक उसके लंड को सकिंग किया।
हम दोनों की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए उतावले हो चुके थे। मैंने अपने कपड़े उतार दिए जब हर्षित ने मेरी पैंटी और ब्रा को उतारा तो उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी चूत से इतना ज्यादा गर्म पानी बाहर निकलने लगा कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी और मेरे अंदर से निकलता हुआ गर्म इस कदर बढ़ चुका था मैंने उससे कहा तुम अपने मोटे लंड को चूत के अंदर घुसा दो। हर्षित ने कहा कि मैं भी अपने आप को रोक नहीं हो पा रहा हूं उसने अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर घुसा दिया। उसका मोटा लंड मेरी चूत के अंदर जाते ही मेरी चूत से खून निकलने लगा।
मेरी चूत से निकलता खून हर्षित के लंड पर लग चुका था। उसने मेरी गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया वह मुझे जिस प्रकार से धक्के मार रहा था उससे मेरी चूत की चिकनाई मे बढ़ोतरी हो रही थी। मेरी गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे। अब मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह जिस प्रकार से मुझे धक्के मार रहा था उससे तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी। मैंने उसे कहा तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो, हर्षित का वीर्य पतन हो गया। कुछ देर तक हम दोनों साथ में बैठे रहे और फिर हर्षिता का लंड तन कर खड़ा हो गया उसके लंड को जब उसने मेरी चूत के अंदर घुसाया तो मैंने उसे कहा तुम्हारा लंड बहुत ज्यादा कठोर हो चुका है। हर्षित ने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसने मुझे बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे। वह मुझे ऐसे ही धक्के मार रहा था काफी देर तक उसने मुझे ऐसे ही धक्के दिए हर्षित की गर्मी इस कदर बढ़ गई कि उसने मुझे कहा मेरा वीर्य गिरने वाला है। थोड़े ही देर बाद उसका वीर्य मेरी चूत के अंदर गिरा गया। मैं भी झड़ चुकी थी मैं बहुत ज्यादा खुश थी जिस प्रकार से हर्षित के साथ मे सेक्स कर पाई।