Antarvasna – अन्तर्वासना – Hindi Sex Stories | uwrena.ru //uwrena.ru Mon, 08 Jul 2019 16:12:56 +0000 en-US hourly 1 /> लंड चूत फाड़ता हुआ अंदर चला गया | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/lund-chut-faadta-hua-andar-chala-gaya/ Mon, 08 Jul 2019 16:12:56 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3193 Antarvasna, hindi sex stories: मैं अपने दोस्त की बहन की शादी में गया हुआ था मैं अपने दोस्त के साथ बैठा हुआ था कि तभी सामने से एक लड़की मुझे दिखी जिसने की लहंगा पहना हुआ था वह बड़ी सुंदर लग रही थी। मैंने जब अपने दोस्त से पूछा कि वह कौन है तो वह मुझे कहने लगा कि वह मेरे चाचा की लड़की है और उसका नाम मीनाक्षी है। गगन ने मुझे मीनाक्षी के बारे में बताया मैं चाहता था कि किसी प्रकार से मैं मीनाक्षी से बात करूं लेकिन मीनाक्षी से बात कर पाना शायद इतना आसान होने वाला नहीं था। जब मीनाक्षी से मेरी टक्कर हुई तो मीनाक्षी मुझे कहने लगी कि क्या आपको दिखाई नहीं देता है मीनाक्षी बहुत गुस्से में नजर आ रही थी। मैंने उससे माफी मांगी और कहा कि मैंने देखा नहीं तो वह कहने लगी कि चलिए कोई बात नहीं रहने दीजिए। मीनाक्षी का गुस्सा शांत हो चुका था मैं मीनाक्षी की तरफ देख रहा था और वह मेरी तरफ देख रही थी मैंने मीनाक्षी से बात करने की सोची कि तभी सामने से गगन आ गया और गगन ने हम दोनों का परिचय करवाया।

गगन ने उसे बताया कि मीनाक्षी यह मेरा दोस्त हर्षित है मीनाक्षी से उस दिन मेरी ज्यादा बात ना हो सकी और उस दिन के बाद मैं कभी गगन के घर भी नहीं गया। करीब दो महीने बाद एक दिन मैं एक कॉफी शॉप में बैठा हुआ था और उस दिन मीनाक्षी भी अपनी किसी सहेली के साथ वहां बैठी हुई थी मैंने मीनाक्षी को देखा तो मैं अपने आप को रोक ना सका और मीनाक्षी से मैं बात करने के लिए चला गया। जैसे ही मीनाक्षी ने मुझे देखा तो मीनाक्षी मुझे कहने लगी कि हर्षित तुम यहां क्या कर रहे हो मैंने उसकी तरफ देखा और उससे भी मैंने यही सवाल पूछा कि तुम यहां पर क्या कर रही हो। वह मुझे कहने लगी कि मैं तो अपनी सहेली के साथ यहां बैठी हुई हूं लेकिन तुम अकेले यहां क्या कर रहे हो मैंने उसे कहा कि कभी-कभार मैं अकेले यहां कॉफी पीने के लिए आ जाया करता हूं। मीनाक्षी ने कहा कि तुम हमारे साथ बैठ जाओ और मैं मीनाक्षी के साथ बैठ गया मीनाक्षी ने मेरा परिचय अपनी सहेली से करवाया उस दिन मेरे पास बहुत अच्छा मौका था और मैंने मीनाक्षी से बहुत देर तक बात की।

मैंने उस दिन मीनाक्षी से उसके बारे में काफी कुछ चीजें पूछी मीनाक्षी के बारे में मुझे बहुत कुछ पता चल चुका था और उस दिन मैंने मीनाक्षी का नंबर भी ले लिया उसके बाद हम लोग जब भी मिलते तो एक दूसरे से बात किया करते। मेरे दिल में मीनाक्षी के लिए एक अलग ही जगह थी मैं चाहता था कि मीनाक्षी से मेरा रिश्ता हो जाए लेकिन यह सब इतना आसान तो होने वाला नहीं था परन्तु फिर भी मीनाक्षी और मैं जब भी मिलते तो एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताया करते। सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था और इसी बीच ऑफिस में मेरा प्रमोशन हो गया मैंने अपने प्रमोशन के लिए एक छोटी सी पार्टी देने के बारे में सोचा और उसी पार्टी में मैंने मीनाक्षी को भी बुलवाया। जब मीनाक्षी पार्टी में आई तो उस दिन मैंने अपने दिल की बात मीनाक्षी को कह दी मीनाक्षी भी मेरे दिल की बात को स्वीकार कर चुकी थी। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ प्रेम संबंध में थे लेकिन अब मेरे और मीनाक्षी के झगड़े होने लगे थे मीनाक्षी ने मुझे कहा कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो हम दोनों का रिश्ता शायद आगे नहीं बढ़ पाएगा मैंने मीनाक्षी को कहा मीनाक्षी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। कुछ गलतफहमी की वजह से हम दोनों के बीच झगड़े जरूर हो जाते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम दोनों एक दूसरे से रिश्ता ही खत्म कर ले। हम दोनों एक दूसरे से मुलाकात कर ही नहीं पा रहे थे जिस वजह से हम लोग आपस में झगड़ने लगे थे और कहीं ना कहीं मेरे ऊपर भी मेरे ऑफिस के काम का कुछ ज्यादा ही दबाव आने लगा था इस वजह से मैं और मीनाक्षी एक-दूसरे को मिल भी नहीं पाते थे। हम दोनों एक दूसरे को कम ही मिला करते थे मीनाक्षी भी जॉब करने लगी थी और जब मीनाक्षी ने मुझसे कहा कि वह जॉब करने के लिए बेंगलुरु जा रही है तो मैंने मीनाक्षी को कहा लेकिन तुम बेंगलुरु जाकर क्या करोगी। मीनाक्षी कहने लगी कि मैं चाहती हूं कि मैं बेंगलुरु चली जाऊं मैं इस बात से खुश नहीं था और मैं नहीं चाहता था कि मीनाक्षी मुझसे दूर चली जाए लेकिन मीनाक्षी ने अपना पूरा मन बना लिया था कि वह बेंगलुरु में ही जॉब करेगी और आखिरकार मीनाक्षी बेंगलुरु चली ही गई। मीनाक्षी मुझसे दूर जा चुकी थी हम दोनों अभी भी फोन पर ही बात करते थे लेकिन मुझे नहीं पता था कि बेंगलुरु जाने के बाद मीनाक्षी के स्वभाव में पूरी तरीके से बदलाव आ जाएगा। मीनाक्षी मुझसे अब हर एक चीज छुपाने लगी थी एक दिन मैंने सोचा कि मीनाक्षी को मैं जाकर सरप्राइज दूंगा और मैं बेंगलुरु मीनाक्षी से मिलने के लिए चला गया।

मैं जब मीनाक्षी से मिलने के लिए बेंगलुरु गया तो मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई थी और ना ही मैंने यह बात मीनाक्षी को बताई थी। मैं मीनाक्षी के ऑफिस के बाहर ही खड़ा था लेकिन जैसे ही मीनाक्षी अपने ऑफिस से बाहर निकली तो उसके साथ एक युवक भी था यह सब देख कर मैं बहुत ज्यादा दुखी हो गया और वहां से वापस लौट आया। मैंने उसके बाद मीनाक्षी से फोन पर बात नहीं की काफी समय हो गया था जब मेरी और मीनाक्षी की बातें नहीं हुई थी मीनाक्षी ने एक दिन मुझे फोन किया और कहा हर्षित आजकल तुम मुझे फोन नहीं कर रहे हो। मैंने मीनाक्षी को कहा आजकल मैं ऑफिस में कुछ ज्यादा ही बिजी हूं इसलिए मैं फोन नहीं कर पा रहा हूं मैं अब मीनाक्षी से अपनी दूरी बनाने लगा था और मैंने मीनाक्षी से अब फोन पर बात करनी बंद कर दी थी मीनाक्षी भी अपने ऑफिस के चलते बिजी रहती थी इस वजह से वह भी मुझसे कम बात किया करती थी।

एक दिन मैंने मीनाक्षी से इस बारे में पूछ ही लिया तो मीनाक्षी ने मुझे कहा कि हर्षित क्या तुम मुझे ऐसा समझते हो मीनाक्षी इस बात से बहुत दुखी हुई और मुझे कहने लगी कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम मेरे बारे में ऐसा सोचोगे। वह मेरे साथ काम करने वाला लड़का था और जब यह बात मीनाक्षी ने मुझसे कहीं तो मैंने मीनाक्षी को कहा मीनाक्षी मुझे लगा कि तुमने मुझे धोखा दिया है इसलिए मैंने तुमसे बात नहीं की। मीनाक्षी कहने लगी हर्षित ऐसा कभी हो नहीं सकता भला मैं तुम्हें क्यों धोखे में रखूंगी और तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुम्हारे साथ कभी ऐसा कर सकती हूं। मीनाक्षी ने मुझे कहा कि हर्षित मैं तुमसे मिलने के लिए आ रही हूं। मैंने मीनाक्षी को कहा नहीं मीनाक्षी तुम रहने दो लेकिन मीनाक्षी ने तो अब अपनी जिद पकड़ ली थी और वह मुझसे मिलने के लिए आना चाहती थी। मैंने मीनाक्षी को मना कर दिया था लेकिन उसके बावजूद भी मीनाक्षी मुझसे मिलने के लिए आ गई और जब वह मुझे मिली तो मीनाक्षी मुझे कहने लगी कि हर्षित तुमने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया। मैंने उसे कहा अब इस बात को हम लोग भूल कर अपने रिश्ते को आगे बढ़ाएं तो ज्यादा बेहतर होगा। हम दोनों इस बात को भुलाकर अब आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे मीनाक्षी कुछ दिन अपने घर पर ही रुकने वाली थी और उस दौरान हम दोनों हर रोज मिल रहे थे। मीनाक्षी और मैं अब हर रोज एक दूसरे को मिला करते मैंने एक दिन मीनाक्षी को अपने घर पर बुलाया उस दिन घर पर कोई भी नहीं था। मेरे लिए यह बड़ा ही अच्छा मौका था और मैं इस मौके को अपने हाथ से गंवाना नहीं चाहता था मैंने मीनाक्षी के बदन को महसूस करना शुरू किया तो मीनाक्षी की गर्मी को मैंने पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था अब मीनाक्षी की चूत के अंदर में अपने लंड को डालने की तैयारी में था लेकिन मैं चाहता था कि वह मेरे लंड का रसपान करे।

मैंने जब अपने लंड को उसके मुंह के अंदर घुसाया तो उसने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा और उसे मेरे लंड को सकिंग करने में बड़ा मजा आ रहा था वह मेरे लंड के मजे बहुत देर तक लेती रही। जब मैंने अपने लंड को मीनाक्षी की चूत के अंदर घुसाया तो वह चिल्ला उठी मैं उसकी चूत के मजे ले रहा था मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था और उसकी चूत की चिकनाई में बढ़ोतरी होती जा रही थी वह बड़ी तेजी से चिल्लाती तुम मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैंने बहुत देर तक उसे ऐसे ही धक्के दिए और मेरा वीर्य गिर चुका था। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला था मीनाक्षी चिल्लाने लगी और कहने लगी कि तुमने तो मेरी चूत आज फाड कर रख दी है मैंने उसे डॉगी स्टाइल में बनाते हुए चोदना शुरू किया और डॉगी स्टाइल में जब मैं उसकी चूत के मजे ले रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था मैं उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार कर रहा था वह भी अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाया जा रही थी। मीनाक्षी की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह चाहती थी कि वह मेरे वीर्य को अपने मुंह के अंदर ही समा ले लेकिन मेरा वीर्य इतनी आसानी से गिरने वाला नहीं था।

मीनाक्षी की चूत से मैने खून निकाल कर रख दिया था और मेरा लंड भी पूरी तरीके से छिल चुका था लेकिन उसके बावजूद भी मीनाक्षी को महसूस कर रहा था। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मीनाक्षी ने उसे मुंह में ले लिया और मेरे लंड को चूसने लगी वह मेरे लंड को जिस प्रकार से चूस रही थी उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था मेरा वीर्य मीनाक्षी की चूत के अंदर जा चुका था। मीनाक्षी ने मुझसे कहा कि मुझे अपनी चूत में तुम्हारे लंड को दोबारा से लेना है मीनाक्षी ने मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर घुसा लिया। मीनाक्षी की चूत के अंदर मेरा लंड जाते ही मैंने उसे तेजी से धक्के देने शुरू किए वह अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे कर रही थी मैं उसे तेज गति से धक्के मार रहा था। मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत का मजा ले रहा था उससे वह बड़ी खुश हो रही थी उसके मुंह से सिसकियां निकल रही थी और उसकी सिसकिया मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी। मैंने मीनाक्षी को कहा लगता है मेरा वीर्य गिरने वाला है? वह कहने लगी कोई बात नहीं तुम मेरी चूत के अंदर ही अपने वीर्य को गिरा दो मैंने मीनाक्षी की चूत के अंदर ही अपने वीर्य को गिरा दिया। मीनाक्षी की चूत के अंदर मेरा वीर्य गिरा तो वह खुश हो गई और मुझे गले लगा कर कहने लगी तुम बहुत ही अच्छे हो।

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मुझसे चूत मरवाई तो मै सब भूल बैठा | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/mujhse-chut-marwayi-to-mai-sab-bhool-baitha/ Sun, 07 Jul 2019 16:52:08 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3191 Antarvasna, kamukta: मेरे और काव्या के रिश्ते के बारे में काव्या के घर में भी सब को पता था क्योंकि काव्या ने अपने घर में मेरे बारे में सब को सब कुछ बता दिया था। काव्या चाहती थी कि मैं और काव्या जल्द से जल्द शादी कर ले लेकिन मैं अभी भी अपने जीवन में कुछ कर नहीं पाया था इसलिए मुझे थोड़ा समय चाहिए था और हम दोनों के रिलेशन को करीब 5 वर्ष बीत चुके थे। इन 5 वर्षों में मैं कुछ भी नहीं कर पाया था काव्या और मेरे बीच दिन ब दिन इस बात को लेकर झगड़े होने लगे थे और काव्य मुझे कहती कि रोहित तुम कुछ कर क्यों नहीं लेते लेकिन मेरे भी अपने कुछ सपने थे जिन्हें मैं पूरा करना चाहता था और उन सपनों को पूरा करने के लिए ना जाने मैंने क्या कुछ नहीं किया परंतु मुझे कोई भी रास्ता नजर नहीं आया जिससे कि मैं कुछ कर पाता। मैंने एक छोटी कंपनी में नौकरी करने का फैसला कर लिया और मैं नौकरी करने लगा लेकिन इस बात से काव्या बिल्कुल भी खुश नहीं थी काव्या चाहती थी कि मैं किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करूं।

मेरे पास भी और कोई रास्ता नहीं था पिताजी और घर का दबाव मुझ पर था और मुझे एक छोटी कंपनी में नौकरी करनी पड़ी लेकिन काव्या और मेरे बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी काव्या चाहती थी कि मैं जल्द से जल्द शादी कर लूँ परंतु मैंने काव्या को मना कर दिया। काव्या कहने लगी कि रोहित यदि तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मुझे कुछ और सोचना पड़ेगा काव्या कहने लगी मेरी उम्र अब निकलती जा रही है मैं 28 वर्ष की हो चुकी हूं। मैंने काव्या को कहा काव्या मुझे सिर्फ एक वर्ष का टाइम चाहिए तो काव्या कहने लगी कि पिछले कई वर्षों से तुम मुझसे यही कहते आ रहे हो लेकिन अभी तक तुम अपनी जिंदगी में कुछ कर नहीं पाए हो और मुझे नहीं लगता कि अब तुम अपनी जिंदगी में कुछ कर भी पाओगे इससे बेहतर यही होगा कि हम दोनों एक दूसरे की जिंदगी से दूर चले जाएं जो हमारी जिंदगी के लिए भी ठीक रहेगा। मैं और काव्या एक दूसरे से अब कम ही बात किया करते थे हम दोनों के बीच दूरियां दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही थी। इसी बीच काव्या के भैया मुझे मिले और वह मुझे कहने लगे कि देखो रोहित हमारे घर में तुम्हारे और काव्या के बारे में सबको मालूम है लेकिन तुम्हें कुछ करना पड़ेगा।

काव्या के भैया अपनी जगह बिल्कुल सही थे उन्होंने मुझे काफी समझाया और कहा कि यदि तुम कुछ नहीं करोगे तो हमें काव्या की शादी किसी और से करवानी पड़ेगी। काव्या और मेरे बीच बहुत ही ज्यादा प्यार है लेकिन मुझे भी अब यह एहसास हो गया था कि मुझे कुछ करना पड़ेगा और फिर मैंने अपने दोस्त से मदद मांगी मैंने उससे कहा कि मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द मैं कुछ पैसे कमा लूं ताकि मैं काव्या से शादी कर पाऊं। वह मुझे कहने लगा कि रोहित तुम कहो तो मैं तुम्हारा वीजा लगवा देता हूं, मेरा दोस्त इंग्लैंड में रहता है और उसने मुझे कहा यदि तुम मेरे साथ चलो तो तुम वहां पर जॉब भी कर सकते हो और तुम्हें उसके बदले अच्छे पैसे भी मिल जाएंगे। मैंने अपने दोस्त से कहा मैं तुम्हारे साथ आने के लिए तैयार हूं इस बीच मैं काव्या को फोन करता रहा लेकिन काव्या ने मेरा फोन नहीं उठाया। मैं अब इंग्लैंड पहुंच चुका था इंग्लैंड पहुंचने के काफी समय तक मेरी काव्या से कोई बात नहीं हो पाई काव्या को शायद यह लगा कि अब हम लोग कभी मिल नहीं पाएंगे इसलिए काव्या ने अपनी सगाई का फैसला कर लिया। एक दिन मैंने काव्या को जब फोन किया तो काव्या ने मुझे बताया कि उसकी सगाई हो चुकी है मैंने काव्या को कहा मैंने तुमसे कहा था कि मैं जल्दी कुछ ना कुछ कर लूंगा और इस बीच तुम्हारा फोन लगा ही नहीं और मैं इंग्लैंड आ गया। काव्या ने मुझे कहा देखो रोहित अब मेरी सगाई हो चुकी है और हम दोनों अब एक दूसरे को भूल जाए यही बेहतर होगा। मैं इस बात से बहुत दुखी हुआ और मैं उस दिन घर पर ही था मेरा दोस्त जब शाम के वक्त अपने ऑफिस से घर लौटा तो वह मुझे कहने लगा कि रोहित तुम काम पर नहीं गए। मैंने अपने दोस्त को कहा आज मैं काम पर नहीं जा पाया क्योंकि आज मेरी काव्या से बात हुई तो काव्या ने मुझे बताया कि उसने सगाई कर ली है इस बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया। वह मेरे और काव्या के बारे में जानता था इसलिए उसने कहा कि देखो तुम जब घर जाओगे तो काव्या को इस बारे में समझाने की कोशिश करना। मैंने भी सोचा कि वह बिल्कुल ठीक कह रहा है और मैं अपने काम पर ध्यान देने लगा लेकिन अब बात बहुत ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी मैं जब भी काव्या को फोन करता हूं तो काव्या मेरा फोन नहीं उठाती।

मैंने उसे काफी बार फोन किया परंतु उसने मेरे फोन का कोई उत्तर नहीं दिया मैं बहुत ही ज्यादा परेशान होने लगा था। मुझे छै महीने इंग्लैंड में हो चुके थे और छै महीने काम करने के बाद जब मैं वापस अपने शहर लौटा तो मेरे लिए सब कुछ बदला हुआ था। काव्या मेरा फोन नहीं उठा रही थी मैंने काव्या को बहुत मैसेज भी भेजे लेकिन उसके बावजूद भी उसने मेरे मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही वह मुझसे मिलना चाहती थी। मैं जब काव्या के घर पर गया तो काव्या उस दिन घर पर ही थी काव्या ने मुझे देखते ही अपना रास्ता बदलने की कोशिश की लेकिन मैंने काव्या को रोका और कहा कि मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। काव्या मुझसे कहने लगी कि कहो तुम्हें क्या कहना है मैंने उसे कहा मैं तुमसे अकेले में बात करना चाहता हूं काव्या कहने लगी कि तुम यहीं बात कर लो लेकिन मैंने उसे कहा कि मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है।

काव्या के घर के बाहर ही एक पार्क है हम लोग वहां पर बैठकर एक दूसरे से बात करने लगे मैंने काव्या को सारी बात समझाई लेकिन काव्या कहने लगी कि देखो रोहित अब बहुत देर हो चुकी है और मैं यह सगाई नहीं तोड़ सकती। मैंने काव्य को कहा काव्या इसमें मेरी गलती नहीं है तुमने हीं तो मुझे कहा था कि तुम अपनी जिंदगी में कुछ कर लो उसी के लिए तो मैं इंग्लैंड चला गया और उस बीच मैंने तुम्हें कई बार फोन किया लेकिन तुमने मेरा फोन ही नहीं उठाया। काव्या कहने लगी देखो रोहित अब तुम इस बारे में भूल जाओ थोड़ी देर बाद काव्या ने मुझसे कहा कि मैं अब घर जा रही हूं यह कहते हुए वह घर चली गई। मुझे अभी भी इस बात का कुछ अंदाजा नहीं था कि काव्या मुझसे दूरी क्यों बना रही है लेकिन जब काव्या की सहेली ममता ने मुझे इस बारे में बताया तो मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई। काव्या की सहेली ने मुझे कहा कि वह तुम्हें छोड़ना चाहती है और अब उसने तुमसे दूरी बनाने की कोशिश कर ली है इसीलिए तो उसने सगाई कर ली। मैं इस बात से बहुत टूट चुका था मेरे तो कुछ समझ में हीं नही आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन उसी बीच मुझे ममता ने सहारा दिया ममता काव्य की दोस्त है और ममता का साथ पाकर मैं बहुत खुश था। काव्या ने मेरे साथ बहुत गलत किया उसने जो मेरे साथ किया वह बिल्कुल भी ठीक नहीं था लेकिन ममता अब मेरा साथ देने के लिए तैयार थी हम दोनों की नजदीकियां बढ़ती चली गई। हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे थोड़े समय बाद ममता और मेरे बीच में शारीरिक संबंध बन गए वह मेरे घर पर आई हुई थी और मेरे घर पर कोई भी नहीं था। ममता और मैं एक दूसरे की बाहों मे थे ममता के होठो को मैंने चूम लिया ममता मेरी गोद में बैठ चुकी थी। ममता की चूत से पानी निकलने लगा था और ममता के होठों से मैंने खून निकाल दिया था वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी।

वह मुझे कहने लगी मैं अपने आपको रोक नहीं पा रही हूं मैंने उसके कपड़े उतारकर उसके बूब्स को अपने मुंह में लेना शुरू किया और बहुत देर तक मैं ममता के बूब्स को अपने मुंह में लेकर चूसता रहा मुझे उसके बूब्स को अपने मुंह में लेकर चूसने में बड़ा आनंद आ रहा था और काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा। अब हम दोनों इतने ज्यादा उत्तेजित हो गए थे कि मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसे ममता ने अपने मुंह में ले लिया हालांकि पहले वह इस बात के लिए इंकार कर रही थी लेकिन मैंने उसे इस बात के लिए तैयार किया और उसमें मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया उसे बड़ा ही मजा आया जिस प्रकार से उसने मेरा साथ दिया। उससे मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था यह सिलसिला चलता जा रहा था हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे मैंने ममता की चूत को चाटना शुरू किया और उसकी चूत से पानी निकाल कर रख दिया। मैंने जैसे ही उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह कहने लगी तुम्हारा लंड बड़ा ही मोटा है उसकी चूत से खून निकल चुका था और उसकी चूत से इतना ज्यादा खून निकल चुका था कि मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था लेकिन मुझे उसे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

ममता मुझे कहने लगी मुझे तुम अपनी गोदी में उठा कर चोदो मैंने उसे अपनी गोदी में उठा लिया और मैं उसे धक्के मारने लगा। वह भी अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करने की कोशिश कर रही थी वह मेरे होठों को चूम रही थी मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। जिस तरह से हम दोनों सेक्स का मजा ले रहे थे उससे हम दोनों ही पूरी तरीके से खुश नजर आ रहे थे मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटाया और मैंने उसे चोदना शुरू किया। उसका शरीर हिलने लगा मैं उसके स्तनों को चाट रहा था मै उसके स्तनों को चूसता तो वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती। उसके बदन की गर्मी अब बढ़ती ही जा रही थी हम दोनों एक दूसरे के बदन की गर्मी को झेल नहीं पा रहे थे और जैसे ही मेरा वीर्य बाहर की तरफ आने वाला था तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उसे ममता ने अपने मुंह में समा लिया। ममता ने अपने मुंह में मेरे लंड को लेकर उसे बहुत देर तक चूसा जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो मैं बड़ा खुश हो गया और काव्या का ख्याल मैंने अपने दिमाग से निकाल दिया था। ममता ही मेरी जिंदगी मे सब कुछ है ममता ने मेरी बहुत मदद की। मैं काव्या को भूल चुका हूं ममता के साथ मै जिंदगी अच्छे से बिताने की पूरी कोशिश कर रहा हूं।

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मुझे अपना लो मेरे दिल के राजा | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/mujhe-apna-lo-mere-dil-ke-raja/ Sat, 06 Jul 2019 17:34:11 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3189 Antarvasna, kamukta: दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी से मैं परेशान हो चुका था अपनी जिंदगी से तो मैं परेशान हो चुका था मुझे थोड़ा बहुत समय अपने लिए भी चाहिए था। मैं चाहता था कि मैं अब अकेले में समय बिताऊँ इसलिए मैं अपने दोस्त के पास कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ चला गया मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और मैं जब उसके पास गया तो वह मुझे कहने लगा कि राजेश तुम बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहे हो। मैंने अपने दोस्त को कहा कि मेरी जिंदगी में ना जाने कितनी परेशानियां हैं जिस वजह से मैं बहुत परेशान हो चुका हूं और इन परेशानियों से मैं दूर भागने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे जीवन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था मैं अपनी परेशानियों से इतना ज्यादा तंग आ चुका था कि मैं कुछ दिन अपने दोस्त के पास ही रुका और उसने फैसला किया कि हम लोग कुछ दिनों के लिए शिमला घूमने के लिए चले जाएं।

हम दोनों वहां से शिमला घूमने के लिए चले गए मुझे अब अकेले में सोचने का समय मिल चुका था मैंने अब फैसला कर लिया था कि मैं अपनी जॉब से रिजाइन दे दूंगा और अब मैं दूसरी कंपनी में जॉब ट्राई करूंगा या फिर अब मैं कोई बिजनेस ही करूंगा। मैंने फिलहाल इस बारे में गहन मंथन किया और मैं इन सब चीजों से भागने की कोशिश कर रहा था मेरी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद मेरी जिंदगी में सब कुछ बदल चुका था उसकी शादी हो चुकी थी और मैं मानसिक रूप से तनाव में था। मैं जब शिमला गया तो शिमला में मुझे बहुत अच्छा लगा मैं और मेरा दोस्त शिमला में ही रुके हुए थे कुछ दिनों तक शिमला की वादियों में रहना मेरे लिए अच्छा था। हम लोग कुछ दिन बाद शिमला से चंडीगढ़ वापस लौट रहे थे लेकिन रास्ते में हमारी कार खराब हो गई और हम लोग एक सुनसान जगह पर खड़े थे वहां पर कोई आता हुआ दिखाई नहीं दे रहा था तभी आगे से एक कार आती हुई दिखाई दी और हमने उन्हें हाथ दिया तो उन्होंने गाड़ी रोक ली। जब उन्होंने गाड़ी रोक ली तो ड्राइवर ने हमसे पूछा कि क्या हुआ हमने उन्हें बताया कि पता नहीं हमारी कार में क्या खराबी आ चुकी है और आस पास कोई मैकेनिक भी नहीं है तो वह कहने लगे कि आओ हम आपको आगे तक छोड़ देते हैं।

हम लोग गाड़ी में बैठ गए जैसे ही मैं कार में बैठा तो मैंने देखा कार में एक पूरी फैमिली बैठी हुई थी मैं बीच की सीट में बैठा हुआ था और मेरे बगल में एक लड़की बैठी हुई थी उसे मैं देख रहा था और वह मेरी तरफ देख रही थी। हम लोग अब मैकेनिक के पास आ चुके थे मैंने मैकेनिक से कहा कि हमारी कार खराब हो चुकी है तो वह कहने लगा कि ठीक है साहब मैं आपकी गाड़ी ठीक कर देता हूं। वह हमारे साथ आ गया और अब वह कार देखने लगा किसी प्रकार से उसने कर ठीक कर दी और हम दोनों चंडीगढ़ लौट गए। जब हम लोग चंडीगढ़ लौटे तो मैंने अपने दोस्त से कहा कि मैं अब दिल्ली वापस जाना चाहता हूं वह कहने लगा कि तुम कुछ और दिन चंडीगढ़ में रुक जाओ मेरा दोस्त चाहता था कि मैं चंडीगढ़ में ही कुछ दिन रुक जाऊँ इसलिए मैं कुछ दिन चंडीगढ़ में ही रुक गया। जो लड़की मुझे शिमला से आते वक्त गाड़ी में दिखी थी वह लड़की मुझे दोबारा मिली उसने मुझे देखते ही पहचान लिया वह कहने लगी आप तो वही है ना जो उस दिन लिफ्ट मांग रहे थे और आपकी गाड़ी खराब हो गई थी। मैंने उसे बताया हां मेरा नाम राजेश है और मैं वही हूं मैंने उससे उसका नाम पूछा तो वह कहने लगी मेरा नाम सुहानी है। मैं और वह आपस में बात कर रहे थे हम दोनो एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि तुम क्या करती हो वह कहने लगी कि मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हूं। उसने मुझसे पूछा आप क्या करते हैं तो मैंने उसे बताया मैं एक कंपनी में जॉब करता हूं। पहली मुलाकात हम लोगों की अच्छी रही मैंने उससे बहुत देर तक बात की और पहली ही मुलाकात हम दोनों की बहुत अच्छी रही हम दोनों बहुत खुश थे कि पहली मुलाकात में हम दोनों की बात हुई। सुहानी कहने लगी कि मुझे अब घर जाने के लिए देर हो रही और फिर सुहानी अपने घर चली गई। मैंने जब यह बात अपने दोस्त को बताई तो वह कहने लगा कि लगता है तुम्हारी जिंदगी अब पहले जैसे होने वाली है मैंने उसे बताया तुम ऐसा क्यों कह रहे हो तो वह कहने लगा कि सुहानी तुम्हारी जिंदगी में आ चुकी है।

मैंने उसे कहा अभी तो मैंने उससे पहली बार ही बात की है तो वह कहने लगा कि क्या तुमने सुहानी का नंबर लिया मैंने उसे कहा हां मैंने सुहानी का नंबर ले लिया है। अब मैं सुहानी से मैसेज के माध्यम से बात करने लगा हम दोनों की बातें होने लगी और हम दोनों ही बहुत खुश थे काफी दिनों तक मैं सुहानी से फोन पर बात करता रहा लेकिन हम दोनों मिले नहीं थे। मैंने सुहानी को मिलने के लिए बुलाया और जब सुहानी मुझसे मिलने के लिए आई तो मैं बहुत ही खुश था मैंने उस दिन सुहानी से अपने दिल की बात कही तो सुहानी शरमाने लगी। आखिरकार उसने मेरे रिश्ते को स्वीकार कर ही लिया अब सुहानी और मेरा रिश्ता आगे बढ़ चला था मैं भी तब दिल्ली लौट आया था और सुहानी से मैं हर रोज फोन पर बात किया करता था। जिस दिन मेरी सुहानी से फोन पर बात नहीं होती उस दिन मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता उस दिन ऐसा लगता कि जैसे मेरा दिन आज अधूरा ही है। सब कुछ पहले जैसा होने लगा था मेरे जीवन में सिर्फ सुहानी के आने से ही मेरी जिंदगी खुशहाल हो चुकी थी मैंने सुहानी को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था। सुहानी चाहती थी कि हम लोग मिले लेकिन मैंने कुछ ही समय पहले अपना कारोबार शुरू किया था इसलिए मैं सुहानी से मुलाकात नहीं कर पा रहा था। सुहानी से मेरी मुलाकात नहीं हो पा रही थी और हम दोनों एक दूसरे से मिल भी नहीं पा रहे थे लेकिन आखिरकार हम दोनों ने एक दिन मिलने का फैसला कर लिया।

जब हम लोग एक दूसरे से मिले तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा सुहानी और मैं एक दूसरे से दिल्ली में ही मिले सुहानी अपनी सहेली के पास कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आई थी। मैं सुहानी से इतने समय बाद मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा सुहानी ने मुझसे कहा कि क्या आपका कारोबार ठीक चल रहा है तो मैंने सुहानी से कहा हां। हम दोनों अब एक दूसरे से शादी करना चाहते थे लेकिन यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था सुहानी चाहती थी कि मैं उसके परिवार से इस बारे में बात करूं लेकिन मैं सुहानी के परिवार से इस बारे में अभी बात नहीं करना चाहता था मुझे थोड़ा वक्त चाहिए था। मैंने सुहानी से कहा कि सुहानी मुझे थोड़ा वक्त चाहिए तो सुहानी कहने लगी ठीक है जैसा आपको ठीक लगता है। सुहानी और मैं दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे सुहानी चाहती थी कि मैं उससे मिलने के लिए उसकी सहेली के घर पर आऊं। मैं जब सुहानी से मिलने के लिए उसकी सहेली के घर पर गया तो उस दिन उसकी सहेली घर पर नहीं थी हम दोनों अकेले कमरे में थे मैंने सुहानी को अपनी बाहों में भर लिया जब मैंने सुहानी को अपनी बाहों में भर लिया तो उसके होंठ मेरे होंठों से टकराने के लिए बेताब थे मैंने अपने होठों को सुहानी के होठो से टकराना शुरू किया जिस प्रकार से उसके होठों को मैं चूम रहा था उससे वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी। मैं उसके बदन की गर्मी को महसूस करना चाहता था सुहानी ने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया सुहानी मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत मोटा है मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लो और उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया जिस प्रकार से उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया उस से मुझे बहुत मजा आने लगा।

मैने अपने लंड को सुहानी के मुंह के अंदर तक घुसा दिया था काफी देर तक उसने मेरे लंड को ऐसे ही चूसा जब मैंने सुहानी के बदन से कपड़े उतारकर उसके गोरे बदन को महसूस करना शुरू किया तो वह मचलने लगी उसके स्तनों को मैं चूस रहा था तो उसके निप्पल खड़े होने लगे थे। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत आनंद आ रहा है उसने मेरे बदन की गर्मी को और भी बढ़ा दिया था उसके मुंह से जो सिसकिया निकल रही थी वह मेरे अंदर की गर्मी को और भी बढ़ा रही थी। मैं अब उसकी चूत में लंड घुसाने के लिए तैयार बैठा था मैंने सुहानी की चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत में एक भी बाल नहीं था उसकी चूत से निकलता हुआ पानी मुझे अपनी और खींच रहा था मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी। मैं भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था सुहानी की चूत के अंदर जैसे ही मैंने अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्लाने लगी उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड जा चुका था।

मैं सुहानी को तेज गति से धक्के मारता तो मुझे उसे धक्के मारने में बहुत ही आनंद आ रहा था जिस प्रकार से मैंने उसकी चूत के मजे लिए उससे वह मुझे कहने लगी कि मेरी चूत से खून बाहर निकलने लगा है। मैंने उसे कहा लेकिन मुझे तुम्हें चोदने में बहुत मजा आ रहा है मैं उसे तेज गति से चोद रहा था उसकी चूत मारना मेरे लिए बड़ा ही सुखद एहसास था मैं सब कुछ भूल कर उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था। मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह भी बहुत ज्यादा खुश थी वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है जिस प्रकार से उसने मेरा साथ दिया उससे मेरा वीर्य बाहर आने लगा था। उसने अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया था मैंने उसकी योनि के अंदर अपने वीर्य को गिराया और जैसे ही सुहानी की चूत के अंदर मेरा वीर्य गिरा उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया। सुहानी की चूत मारने में मुझे बहुत ही मजा आया उसकी चूत मारकर जिस प्रकार से मैंने अपने अंदर की गर्मी को मिटाया और सुहानी ने मेरा साथ दिया उससे मैं बहुत ज्यादा खुश था। सुहानी अब चंडीगढ़ लौट चुकी थी लेकिन हम लोगों की फोन पर अक्सर बात होती थी और मैं भी सुहानी को मिलने के लिए चंडीगढ़ जाता रहता। हमारे इस रिश्ते का कोई भविष्य मुझे नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसके बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे को खुश करने मैं लगे हुए थे।

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मैं, मेरी सहेली और उसका पति | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/mai-meri-saheli-aur-uska-pati/ Fri, 05 Jul 2019 15:12:29 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3187 Antarvasna, hindi sex story: मैं रसोई में सुनील के लिए चाय बना रही थी जब मैं सुनील के लिए चाय लेकर आई तो सुनील मुझे कहने लगे कि आशा क्या तुम मेरे लिए नाश्ता बना दोगी तो मैंने सुनील को कहा ठीक है सुनील मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हूं। मैंने जल्दी से सुनील के लिए नाश्ता तैयार किया और सुनील नाश्ता करते ही तैयार होने के लिए चले गए वह तैयार होकर अपने दफ्तर के लिए निकल चुके थे। मेरी और सुनील की शादी शुदा जिंदगी अच्छे से चल रही थी हमारी जिंदगी में कोई भी परेशानी नहीं थी। सुनील मुझे बहुत प्यार भी करते थे और सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था लेकिन जब हमारे पड़ोस में रहने के लिए मीनाक्षी और ललित आए तो हम दोनों के बीच उसके बाद कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। सुनील हमेशा ही मीनाक्षी और ललित का उदाहरण देकर मुझे कहते कि वह लोग इतने प्यार से रहते हैं और एक तुम हो कि बिल्कुल भी अपने ऊपर ध्यान नहीं देती हो। मैं अपने घर के कामों में इतना ज्यादा उलझी हुई थी कि मेरे पास अपने लिए भी समय नहीं होता था सुनील चाहते थे कि मैं बदल जाऊं लेकिन यह सब इतना आसान कहां होने वाला था मैं इतनी जल्दी भला कैसे बदल सकती थी।

मीनाक्षी और ललित की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई थी और वह दोनों बड़े मॉडल ख्यालातो के हैं क्योंकि वह बचपन से ही मुंबई में पढ़े लिखे हैं। मीनाक्षी के पिताजी ने उसे फ्लैट खरीद कर दिया जिसके बाद वह हम लोगों के पड़ोस में रहने के लिए आ गए। अब वह हमारे घर के बिल्कुल सामने ही रहते थे इसलिए अक्सर मुझे आते जाते मीनाक्षी दिखाई देती थी मीनाक्षी से मेरी कोई बातचीत नही थी। मीनाक्षी एक दिन मेरे साथ बैठी हुई थी यह पहली बार ही था जब मीनाक्षी और मेरे बीच इतनी देर तक बात होती रही उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मुझे भी अपने आप को बदलना चाहिए। मैं एक सीधी-सादी ग्रहणी हूं उससे ज्यादा मैंने कभी कुछ सोचा भी नहीं था लेकिन मीनाक्षी ने मेरे अंदर जो बीज बो दिया था वह बड़ा होने लगा था मैं बदलने की पूरी कोशिश करने लगी थी इसके लिए मैंने मीनाक्षी की मदद ली।

मीनाक्षी से मैंने एक दिन कहा कि मीनाक्षी तुम जिस दिन अपने ऑफिस से छुट्टी लोगी उस दिन क्या तुम मेरे साथ शॉपिंग के लिए चल सकती हो तो मीनाक्षी कहने लगी कि ठीक है मैं तुम्हारे साथ शॉपिंग के लिए चलूंगी। हम दोनो मीनाक्षी की छुट्टी के दिन शॉपिंग के लिए चले गए मीनाक्षी ने अपने पसंद से मेरे लिए कुछ कपड़े ले लिए मैं अपने आप को बदलने की कोशिश कर रही थी यह सब मैं सुनील के लिए कर रही थी। जब सुनील घर आए तो सुनील मुझे कहने लगे कि तुम आज काफी बदली बदली नजर आ रही हो तो मैंने सुनील को कहा देखो सुनील मैं नहीं चाहती कि मैं तुम्हें किसी भी प्रकार से कोई कमी महसूस होने दूँ तुम चाहते थे कि मैं मीनाक्षी की तरह बिल्कुल मॉडर्न बन जाऊं तो मैं भी अपने आप को बदलने की कोशिश कर रही हूं लेकिन यह सब इतनी जल्दी तो बदल नहीं सकता इसके लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए। सुनील भी अब मुझे अपने दोस्तों से मिलाने लगे थे। सुनील मुझे अपने ऑफिस की पार्टी में ले गए तो सब लोगों ने मेरी बड़ी तारीफ की यह सब मीनाक्षी की वजह से ही हुआ था मीनाक्षी ने ही मेरी मदद की थी। मीनाक्षी को कपड़ों की समझ बहुत ही अच्छी है और इसीलिए सब लोग मेरी बड़ी तारीफ कर रहे थे मीनाक्षी मेरी अच्छी सहेली बन चुकी थी और हम दोनों जब भी एक साथ होते तो काफी अच्छा समय बिताया करते। मीनाक्षी एक दिन घर पर आई और कहने लगी कि क्या तुम लोग कहीं घूमने के लिए नहीं जाते हो मैंने मीनाक्षी को कहा हम लोगों को कहां घूमने का समय मिल पाता है हम लोग शादी के बाद ही कहीं घूमने गए थे उसके बाद तो हम लोग कहीं भी घूमने के लिए नहीं गए हैं। मीनाक्षी ने मुझे कहा कि हम लोग कहीं घूमने का प्लान बनाते हैं मैंने मीनाक्षी को कहा मीनाक्षी तुम इस बारे में सुनील से बात कर लेना तो मीनाक्षी कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में सुनील से बात कर लूंगी। थोड़े ही दिनों बाद मुझे मीनाक्षी मिली तो मीनाक्षी ने मुझे कहा कि मैं सोच रही हूं कि हम लोग लोनावला चलते है लोनावला में मेरे मामाजी का रिजॉर्ट है तुम लोग हमारे साथ आने के लिए तैयार हो तो हम लोग वहां चल सकते हैं मैंने मीनाक्षी को कहा ठीक है मीनाक्षी। मीनाक्षी ने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और मैंने सुनील से बात की तो सुनील इस बात के लिए तैयार हो चुके थे उनको इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी कि हम लोग कहीं घूमने के लिए जाएं।

हम लोग घूमने के लिए लोनावला जाने की तैयारी में थे अब हम लोग पैकिंग कर रहे थे मैंने सुनील से कहा कि सुनील मैं तुम्हारा सामान पैक कर देती हूं। सुनील कहने लगे कि नहीं आशा मैं खुद ही अपना सामान पैक कर लेता हूं। हमने अपना सामान रख दिया था और अगले दिन ही सुबह हम लोग लोनावला के लिए निकल पड़े जब हम लोग लोनावला पहुंचे तो वहां पर हम लोग मीनाक्षी के मामा जी के रिजॉर्ट में ही रुकने वाले थे। हम लोग मीनाक्षी के मामा जी के रिजॉर्ट में रुके तो वहां पर सब कुछ बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था काफी समय बाद मैं सुनील के साथ कहीं घूमने के लिए गई थी तो मैं चाहती थी कि मैं सुनील के साथ एक अच्छा समय बिता पाऊं। घर में शायद मुझे समय मिल ही नहीं पाता था क्योंकि सुनील के माता-पिता घर में रहते हैं और हम लोगों को कभी भी एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका भी नहीं मिल पाता था सुनील अपने ऑफिस के लिए सुबह निकल जाते और उसके बाद वह शाम को ही घर लौटा करते। हम चारों साथ में बैठे हुए थे और जब मैं और सुनील एक दूसरे से बात कर रहे थे तो ललित ने कहा कि चलो कहीं बाहर घूम आते हैं और हम लोग बाहर टहलने के लिए निकल पड़े।

हम लोग अब पैदल ही काफी आगे तक निकल गए थे मैं और सुनील एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैं सुनील को कहने लगी कि सुनील क्या तुम्हें वह दिन याद है जब हम लोग शादी के बाद पहली बार घूमने के लिए गए थे। सुनील कहने लगे हां मुझे वह दिन याद है जब हम लोग शादी के बाद पहली बार घूमने के लिए गए थे और सब कुछ कितना अच्छा था मैं भी बहुत खुश था और तुम भी बहुत खुश नजर आ रही थी। मैंने सुनील को कहा सुनील मैं तुमसे शादी कर के बहुत खुश हूं क्योंकि तुमने हमेशा ही मेरी खुशी का ध्यान दिया है। मीनाक्षी हम दोनों की तरफ देख रही थी मीनाक्षी कहने लगी कि आशा क्या हम लोग वापस चलें तो मैंने मीनाक्षी से कहा हां हम लोग अब वापस चलते हैं और हम लोग वापस रिजॉर्ट में चले गए। हम लोग रिजॉर्ट में वापस लौटा है मीनाक्षी और मैं एक साथ बैठे हुए थे तो मिनाक्षी ने मुझसे मेरे और सुनील के सेक्स रिलेशन के बारे में बात करनी शुरू की लेकिन मीनाक्षी के हाथ मेरी तरफ बढ़ते चले गए। मीनाक्षी ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया उसने मेरे कपड़े उतारकर मेरी चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे मज़ा आ रहा था मैंने मीनाक्षी की चूत को बहुत देर तक चाटा मीनाक्षी की चूत को जब मैं चाट रही थी तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों एक दूसरे को खुश करने की तरफ बढ़ ही रहे थे कि तभी ललित ने यह सब देख लिया मैंने अपने कपड़े पहनने की कोशिश की लेकिन ललित मेरी तरफ आया और उसने मुझे कहा तुम्हारा बदन बड़ा ही मजेदार है। मैंने उसे कहा ललित यह सब ठीक नहीं है लेकिन मीनाक्षी को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी उसने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने भी उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया उस को चूसती रही ललित बड़ा ही खुश नजर आ रहा था।

मीनाक्षी ने मेरी गर्मी बढ़ानी शुरू कर दी वह मेरी चूत को चाटने लगी मैंने ललित से पूछा सुनील कहां है? ललित कहने लगा वह सोया हुआ है अब हम तीनों एक दूसरे के साथ मजे करने के लिए तैयार थे ललित ने हम दोनों को ही घोड़ी बना दिया। पहले ललित ने अपने मोटे लंड को चूत के अंदर घुसाया तो उसका लंड अंदर जा चुका था वह मुझे पूरी ताकत के साथ चोद रहा था वह मुझे बड़े अच्छे से धक्के मारता और गर्मी को मिटाता जाता। थोड़ी देर बाद उसने मीनाक्षी की चूत मे अपने लंड को डाला और मीनाक्षी को बड़े अच्छे से चोद रहा था मैं यह सब देखकर और भी ज्यादा गर्म होने लगी थी मैं ललित के साथ अपनी चूत को अच्छे से मरवाना चाहती थी। ललित ने जब मीनाक्षी की चूत से लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसके लंड को मै चूसती रही उसका लंड तन कर खड़ा होने लगा था मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। मै ललित के लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए तैयार थी मीनाक्षी ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया उसने मेरी चूत को पूरा चिकना बना दिया। मीनाक्षी अपनी चूत के अंदर उंगली डाल रही थी वह बिस्तर पर लेट कर पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन जैसे ही ललित ने अपने 9 इंच मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर डाला तो मैं चिल्ला उठी।

ललित का लंड मेरी चूत की दीवार से टकरा रहा था वह मुझे बड़ी ही तेज गति से धक्के मार रहा था जब वह मुझे धक्के मारता मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था। मैं उसका साथ अच्छे से दे रही थी बहुत देर तक मैंने उसका साथ दिया और ललित को कहा देखो मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो। मीनाक्षी ने मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले लिया वह मेरे स्तनों को चूसने लगी ललित मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर रहा था। मेरे लिए यह एक अलग ही फीलिंग थी पहली बार ही ऐसा हुआ था कि जब मैं किसी के साथ इतने अच्छे तरीके से सेक्स कर पा रही थी हालांकि मेरे और सुनील के बीच कई बार अच्छी तरीके से सेक्स हुआ है लेकिन यह मेरे लिए अलग फीलिंग थी। मैं गर्म हो चुकी थी और ललित के लंड से निकलता हुआ पानी उसने हम दोनों के ऊपर ही गिरा दिया और हम दोनों खुश हो गए। उसके बाद हम बिस्तर पर लेटे हुए थे सुनील अभी तक उठे नहीं थे वह बड़ी गहरी नींद में थे लेकिन उसके बाद तो जैसे यह सब आम होने लगा था हम तीनों के बीच  यहां सब होता ही रहता था। हम तीनों ही बहुत ज्यादा खुश थे कि कम से कम हम लोग सेक्स का पूरा मजा तो ले पा रहे हैं यह बात सुनील को कभी हम लोगों ने पता चलना ही नहीं दी। मीनाक्षी मेरी सबसे अच्छी सहेली है वह हर वक्त मेरे साथ ही रहती है मैं उससे अपनी हर एक बात साझा करती हूं और वह भी मुझे हर एक बात बताया करती है।

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साहब चोद लो और पैसे दे दो | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/sahab-chod-lo-aur-paise-de-do/ Thu, 04 Jul 2019 12:31:14 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3185 Antarvasna, sex stories in hindi: माया ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी मैंने माया से पूछा माया तुम ऑफिस से कब लौटोगी माया कहने लगी कि मैं शाम तक आ जाऊंगी। मैं घर पर ही था माया ने मुझे कहा कि तुम बच्चों को खाना खिला देना मैंने माया से कहा ठीक है जब बच्चे स्कूल जाएंगे तो मैं उन्हें खाना खिला दूंगा। काफी समय से मैं घर पर ही था मेरे पास नौकरी नहीं थी जिस वजह से मैं घर पर ही था मैं अब इस बात से बहुत चिंतित रहने लगा था कि मुझे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। माया ही घर की पूरी जिम्मेदारी को अपने कंधों पर उठाये हुई थी लेकिन मुझे भी अब लगने लगा था कि मुझे कुछ करना चाहिए। मैंने जबसे अपना ऑफिस छोड़ा है उसके बाद से मैंने कहीं भी जॉब नहीं की माया एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती है और वही घर के सारे खर्चों को देखती है।

काफी समय से माया ही घर के सारे खर्चे उठा रही थी अब मुझे कहीं ना कहीं इस बात को लेकर चिंता सताने लगी थी कि मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि मैं भी माया की मदद कर सकूं और मेरे लिए भी यह बहुत जरूरी हो गया था। मैंने अपने दोस्तों को फोन करना शुरू किया लेकिन मेरे दोस्तों ने भी मेरा साथ छोड़ दिया था अब मेरे साथ सिर्फ माया ही खड़ी थी माया के अलावा मेरी जिंदगी में और कोई भी नहीं था जो कि मुझे समझ सकता इसलिए माया ने हमेशा से मेरा साथ दिया है। दोपहर के वक्त बच्चे स्कूल से आ चुके थे मैंने उन्हें खाना खिलाया और बच्चे आराम करने लगे थोड़ी देर बाद वह ट्यूशन जाने वाले थे तो मैंने उन्हें ट्यूशन तक छोड़ दिया और उसके बाद मैं अपने एक परिचित से मिलने के लिए चला गया। मैं जब उनसे मिलने के लिए गया तो मैंने उनसे कहा कि क्या आपकी नजर में कोई काम है। वह कहने लगे कि मैं कोशिश करता हूं मैं तुम्हें पता कर के बताता हूं लेकिन मेरे पास फिलहाल कोई काम नहीं था और मैं बहुत ही ज्यादा परेशानी में अपनी जिंदगी बिता रहा था। कहीं ना कहीं इसमें मेरी गलती ही थी मुझे माया हमेशा ही मना करती कि तुम बहुत ही ज्यादा शराब पीते हो इसी वजह से मुझे मेरी नौकरी से भी हाथ गंवाना पड़ा। काफी समय तक खाली रहने के बाद मैं और भी ज्यादा तनाव में आ गया था लेकिन मेरे परिचित ने मेरा साथ दिया और मेरे लिए उन्होंने नौकरी की तलाश आखिरकार कर ही दी। मुझे नौकरी मिल चुकी थी मैंने जब यह बात माया को बताई तो माया मुझे कहने लगी कि राहुल क्या तुमने नौकरी करने का फैसला कर लिया है।

मैंने माया से कहा हां माया मुझे अब यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि तुम जॉब पर जाती हो और मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूं। माया मुझे कहने लगी कि देखो राहुल तुम्हारे और मेरे बीच में कभी भी ऐसा कुछ नहीं रहा हम दोनों ने जब शादी की थी तो उसी वक्त एक दूसरे से हम लोगों ने बात कर ली थी और मैंने भी तो तुम्हें कहा था कि मैं जॉब करना चाहती हूं तुमने भी उस वक्त मेरा साथ दिया था और यदि ऐसी मुसीबत की घड़ी में मैं तुम्हारा साथ नहीं दूंगी तो भला कौन तुम्हारा साथ देगा। जब माया ने मुझे यह बात कही तो मैंने माया से कहा माया लेकिन मुझे लगने लगा था कि मुझे नौकरी करनी चाहिए। अब मैं जॉब पर जाने के लिए तैयार था और बच्चों की जिम्मेदारी के लिए हम लोगों ने घर पर एक नौकरानी रख दी थी। मैं अपनी जॉब में पूरा ध्यान देने लगा था और मेरा काम अच्छे से चल रहा था मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था कि कम से कम मैं अब दोबारा से जॉब करने लगा हूं। एक दिन मुझे माया ने कहा आज मेरी सहेली की एनिवर्सरी है उसने हम लोगों को भी अपनी एनिवर्सरी में बुलाया है तो मैंने माया से कहा माया लेकिन मुझे ऑफिस से आने में देर हो जाएगी। माया मुझे कहने लगी कि कोई बात नहीं तुम जब भी ऑफिस से आओगे तो उसके बाद हम लोग चल लेंगे। माया ने जब मुझे यह बात कही तो मैंने माया से कहा ठीक है माया मैं जब ऑफिस से निकलूंगा तो तुम्हें मैं फोन कर दूंगा। मैं जब ऑफिस से निकला तो उस वक्त मैंने माया को फोन कर दिया और जब मैंने माया को फोन किया तो माया ने मुझे कहा कि तुम कितने बजे तक घर पहुंच जाओगे। मैंने माया को कहा माया बस थोड़ी देर बाद ही मैं घर पहुंच जाऊंगा और थोड़ी देर बाद मैं घर पहुंच गया।

जब मैं घर पहुंचा तो उस वक्त माया मेरा इंतजार कर रही थी माया तैयार होकर हॉल में बैठी हुई थी मैंने माया से कहा कि क्या बच्चों को भी अपने साथ लेकर जाना है। माया कहने लगी कि हां राहुल हम बच्चों को भी अपने साथ लेकर चलेंगे और हम लोग अब माया की सहेली पायल की एनिवर्सरी में जाने के लिए तैयार थे। मैं भी तैयार हो चुका था माया ने मुझे कहा कि आज तुम बहुत अच्छे लग रहे हो तो मैंने माया से कहा माया आज काफी समय बाद तुमने मुझे कहा कि तुम अच्छे लग रहे हो क्या इसके पीछे कोई वजह है। माया मुझे कहने लगी कि नहीं राहुल इसके पीछे कोई भी वजह नहीं है मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि तुम अब पहले की तरह ही अपना ध्यान रखने लगे हो। मैंने कहा चलो अभी हम लोग चलते हैं वहां पहुंचने में देर ना हो जाए माया कहने लगी कि चलो ठीक है। मैं और माया जब पायल की पार्टी में पहुंचे तो वहां पर और लोग भी आए हुए थे माया ने मुझे पायल से मिलवाया। हालांकि पायल से मैं उससे पहले भी मिल चुका था लेकिन जब मैं पायल से मिला तो पायल मुझे कहने लगी कि माया तुम्हारी बहुत तारीफ करती है।

मैंने माया से कहा क्या वाकई में तुम मेरी तारीफ करती हो तो माया मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी। पायल और मैं आपस में बात कर रहे थे तभी पायल के पति भी वहां पर आ गए और पायल ने मुझे अपने पति से भी मिलवाया। हम लोगों ने पार्टी में काफी अच्छा समय बिताया और काफी समय बाद मैं माया के साथ एक अच्छा समय बिता पा रहा था इसलिए मैं भी बहुत खुश था। हम लोग जब घर वापस लौट रहे थे तो उस वक्त माया ने मुझे कहा कि राहुल तुम आज बहुत अच्छे लग रहे हो और आज मैं तुमसे बहुत खुश हूं। मैंने माया से कहा माया मुझे भी तो तुम हमेशा अच्ची लगती हो और हम दोनों रास्ते भर एक दूसरे से बात करते रहे जब हम लोग घर पहुंचे तो घर पहुंचकर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बात की। मैंने माया से कहा माया तुम बच्चों को सुला दो तो माया कहने लगी कि ठीक है मैं बच्चों को भी सुला देती हूं माया ने बच्चों को सुला दिया और हम दोनों आपस में बात कर रहे थे। माया ने मुझे पूछा कि तुम्हें आज पायल की पार्टी में जाकर कैसा लगा तो मैंने माया से कहा माया काफी समय बाद तुम्हारे साथ कहीं गया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मैं और माया एक दूसरे से बात कर रहे थे मैंने माया के होंठों को चूमा और उसके होठों को जब मै चूम रहा था तो माया ने मेरे लंड को दबाना शुरू किया और उसने मेरे लंड को अपने मुंह में समा लिया उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया वह उसे बहुत अच्छे से चूसने लगी उसे मेरे लंड को चूस कर मज़ा आ रहा था। उसने बहुत देर तक मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर रखा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने माया से कहा मुझे लगता है कि मैं तुम्हारी चूत काफी दिनों से अच्छे से नहीं मार पाया हूं मैंने माया की चूत मे लंड को घुसाया और बहुत देर तक मैंने उसकी चूत मारी। मैंने माया की चूत के मजे बहुत देर तक लिए मैंने अब माया की गांड मारी तो मुझे बहुत ही मजा आया। मै माया की गांड मारने में लगा हुआ था उसके बाद मेरा वीर्य गिरा वह बडा ही मजेदार था मैं आराम से सो चुका था। अगली सुबह हमारे घर में काम करने वाली नौकरानी को मैने देखा मैंने देखा माया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रही है माया ने मुझे कहा कि क्या तुम आज ऑफिस नहीं जा रहे? मैंने माया से कहा नहीं आज मैं ऑफिस नहीं जा रहा माया अपने ऑफिस निकल चुकी थी लता घर की साफ सफाई कर रही थी।

मै लता की गांड देख रहा था मैंने लता को अपने पास बुलाया वह मेरे पास आकर बैठी तो मैंने उसके हालचाल पूछे वह मुझे कहने लगी साहब आजकल मेरे पति और मेरे बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। मैं और लता एक दूसरे से बात कर रहे थे मैंने लता को अपने बटुए से पैसे निकाल कर दिए और उसने वह पैसे अपने ब्लाउज के अंदर रख लिए। मैंने उसके ब्लाउज में हाथ डालते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया मैं उसके स्तनों को दबाता रहा तो मुझे मजा आ रहा था उसके स्तनों को मैंने बहुत देर तक दबाया। मेरा लंड खड़ा हो चुका था मैं अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डालना चाहता था मैंने जब लता से कहा कि मैं तुम्हारे लंड को तुम्हारी चूत के अंदर डालना चाहता हूं वह मुस्कुराने लगी।

मैंने उसकी साड़ी को ऊपर उठाते हुए उसकी पैंटी को उतारा और उसकी चूत के अंदर मैंने अपने लंड को डाला तो उसकी चूत के अंदर मेरा लंड चला गया था। अब मैंने बड़ी तेजी से उसे चोदना शुरू कर दिया था मै उसे जिस प्रकार से चोद रहा था मुझे बहुत आनंद आ रहा था। वह मादक आवाज मे सिसकिया ले रही थी जब मैंने उसे घोड़ी बनाया तो मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा लेकिन ज्यादा देर तक मैं उसकी चूत की गर्मी को ना झेल पाया मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिरा दिया। मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाला तो वह लंड को चूसने लगी वह मेरे लंड को बहुत देर तक चूसती रही मैंने उसके मुंह से लंड निकाला और उसकी गांड में लंड घुसाते हुए अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया। मैंने उसे बहुत तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए वह चिल्लाए जा रही थी मैं उसकी गांड के मजे ले रहा था मुझे उसकी गांड मारने में बड़ा आनंद आ रहा था बहुत देर तक मैंने उसकी गांड के मजे लिए वह मुझे कहने लगी कि आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी गांड से खून बाहर निकाल कर रख दिया था जब मैंने अपने वीर्य को उसकी गांड के अंदर गिराया तो वह कहने लगी साहब आज तो मजा ही आ गया। वह हर रोज सुबह आती है और मेरे लंड को चूसते है वह चाहती है मैं उसकी चूत के मजे लू और उसे कुछ पैसे दे दूं।

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मेरी जिंदगी मे बहार आ गई | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/meri-zindagi-me-bahar-aa-gayi/ Wed, 03 Jul 2019 15:45:08 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3183 Antarvasna, kamukta: मैंने सुहानी को फोन किया और कहा कि क्या तुम मेरे साथ आज कॉलेज चलोगी तो सुहानी कहने लगी की नहीं सुनील आज मैं कॉलेज नहीं आ पाऊंगी क्योंकि घर में कुछ मेहमान आ रहे हैं इसलिए मम्मी ने कहा कि आज तुम घर पर ही रहना। सुहानी घर का सारा काम संभालती है और वह मेरी अच्छी दोस्त भी है लेकिन सुहानी को कभी घर में वह प्यार नहीं मिल पाया जो की सुहानी को चाहिए था क्योंकि उसकी सौतेली मां उसे कभी प्यार नहीं करती थी वह सिर्फ उससे काम करवाती है और उसे वह कभी समझती ही नहीं है इस वजह से कई बार सुहानी बहुत परेशान रहती थी। मैंने हमेशा ही सुहानी का साथ दिया है मैं उस दिन कॉलेज अकेले ही चला गया मैं जब कॉलेज गया तो मेरे दोस्त मुझसे कहने लगे कि आज सुहानी नहीं आई तो मैंने उन्हें बताया कि सुहानी के घर पर आज कुछ मेहमान आ रहे हैं इसलिए वह आज कॉलेज नहीं आई। सुहानी और मैं हर रोज कॉलेज एक साथ आया करते थे क्योंकि सुहानी मेरे घर के पास में ही रहती है इसलिए मैं सुहानी को हर रोज अपने साथ ही कॉलेज के लिए घर से ले आता था लेकिन आज वह आई नहीं थी इसलिए कॉलेज में मेरा मन भी नहीं लग रहा था।

हम दोनों अच्छे दोस्त हैं लेकिन सुहानी के प्रति शायद मेरे दिल में कुछ तो था जो कि मैं आज तक समझ नहीं पाया। बचपन से मैं सुहानी को जानता हूं और सुहानी के साथ मैं हमेशा ही खड़ा रहा जब मैं घर लौटा तो सुहानी का फोन मुझे आया सुहानी मुझे कहने लगी कि सुनील मुझे तुमसे मिलना है। मैंने सुहानी को कहा ठीक है तुम घर के बाहर पार्क में आ जाओ सुहानी मुझसे पार्क में मिलने के लिए आ गई। जब सुहानी मुझसे मिलने के लिए पार्क में आई तो उस वक्त सुहानी का चेहरा पूरी तरीके से उतरा हुआ था। मैंने सुहानी को कहा सुहानी क्या हुआ तो सुहानी मुझे कहने लगी कि सुनील मैं आज बहुत दुखी हूं आज मुझे अपनी मां की बहुत याद आ रही है। मैंने सुहानी का हाथ पकड़ते हुए कहा सुहानी लेकिन आज तुम ऐसा क्यों कह रही हो सुहानी हमेशा ही मुझसे हर एक बात कह दिया करती। जब सुहानी ने मुझे बताया कि उसे आज देखने के लिए लड़के वाले आए थे तो मैंने सुहानी को कहा लेकिन यह सब इतनी जल्दी में कैसे हुआ।

सुहानी कहने लगी कि मेरी मां चाहती है कि मैं शादी कर लूं इसलिए उन्होंने लड़के वालों को घर पर बुलाया था लेकिन मैं अभी से शादी नहीं करना चाहती हूं मैं अपने जीवन में कुछ करना चाहती हूं। सुहानी के बहुत सपने हैं जिन्हें कि वह पूरा करना चाहती है सुहानी चाहती है कि वह अपने सपनों को पूरा करें सुहानी के पिताजी भी बेबस थे वह कुछ बोल ना सके। मैंने सुहानी को कहा लेकिन ऐसे ही कोई तुम्हारी शादी जबरदस्ती कैसे करवा सकता है सुहानी कहने लगी कि सुनील मैं तुम्हें क्या बताऊं आज तक तो मैं हमेशा ही हर बात को नजरअंदाज करती रही लेकिन अब मुझे लग रहा है कि शायद मैं इस बात को नजरअंदाज नहीं कर पाऊंगी क्योंकि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं मैं चाहती हूं कि मैं अपने आपको थोड़ा समय दूं। मैंने सुहानी को कहा लेकिन सुहानी तुम इस बारे में अपने पापा से बात करो तो सुहानी कहने लगी कि पापा की बेबसी भी उनके चेहरे पर साफ नजर आती है और वह भी कुछ नहीं कर सकते। सुहानी बहुत दुखी थी तो मैंने सुहानी को कहा कि हम लोग इसके बारे में कल बात करेंगे मैंने सुहानी से कहा सुहानी अभी तुम घर जाओ क्योंकि देर भी काफी हो चुकी थी और अंधेरा भी काफी हो चुका था इसलिए मैंने सुहानी को जाने के लिए कहा। सुहानी अब अपने घर चली गई लेकिन रात भर मैं यही सोचता रहा मेरी आंखों से नींद भी गायब थी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था मैंने भी कभी कल्पना नहीं की थी कि सुहानी की शादी की बात उसकी मां ऐसे ही इतनी जल्दी कर देगी। सुहानी की शादी की बात के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था और मैं यह सोच रहा था कि सुहानी के ऊपर क्या बीत रही होगी क्योंकि सुहानी भी तो यही सोच रही होगी। अगले दिन जब मैं सुहानी को मिला तो सुहानी का चेहरा उतरा हुआ था मैंने सुहानी को कहा सुहानी अब क्या हुआ तो सुहानी ने मुझे बताया कि उसकी मां को जब उसने इस बारे में कहा कि वह अभी शादी नहीं करना चाहती तो उन्होंने उसे सुबह बहुत डांट दिया। मैंने सुहानी को कहा लेकिन तुम्हारी मां ऐसा क्यों कर रही है तो सुहानी कहने लगी कि मैं उनकी सौतेली बेटी हूं ना इसलिए वह मुझे कभी प्यार नहीं करती और वह चाहती हैं कि किसी भी तरीके से मैं उन लोगों के जीवन से दूर चली जाऊं।

सुहानी और मैं साथ में कॉलेज गए सुहानी का मूड बिल्कुल भी अच्छा नहीं था इसलिए मैंने उससे उस दिन बहुत कम बात की। सुहानी भी इस बात से बहुत ज्यादा चिंतित थी और वह मुझे कहने लगी कि सुनील मैं तुम्हें क्या बताऊं मेरे अंदर क्या चल रहा है। मैंने सुहानी को कहा सुहानी मैं समझ सकता हूं कि तुम किस परेशानी से गुजर रही हो मैं यह भली भांति जानता हूं सुहानी को मैंने देते हुए कहा कि तुम बिल्कुल भी चिंता ना करो सब कुछ ठीक हो जाएगा। फिलहाल तो कुछ भी ठीक होता हुआ नजर नहीं आ रहा था क्योंकि सुहानी और उसके जीवन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था सुहानी की सौतेली मां ने उसकी शादी जबरदस्ती तय करवा दी और सुहानी इस बात को लेकर कोई भी आपत्ति दर्ज ना कर सकी। अगले दिन जब सुहानी मुझे मिली तो सुहानी बहुत ज्यादा परेशान थी और मुझे कहने लगी कि सुनील क्या मैं अपनी जिंदगी कभी जी भी पाऊंगी।

मैंने सुहानी को कहा सुहानी लेकिन ऐसा तुम क्यों सोच रही हो तुम्हारे जीवन में सब कुछ ठीक होगा सुहानी कहने लगी मेरी मां कभी चाहती ही नहीं है कि मेरे जीवन में कुछ भी ठीक हो तुमने देख तो लिया कि उन्होंने मेरी सगाई जबरदस्ती करवा दी और पापा भी कुछ बोल ना सके पापा की बेबसी भी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही है कि उनके पास भी कोई जवाब नहीं है मुझे तो ऐसा लगता है कि शायद मेरा इस दुनिया में कोई है ही नहीं। मैंने सुहानी को कहा सुहानी तुम ऐसा क्यों बोल रही हो बेवजह तुम अपना दिल छोटा कर रही हो जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम अपने आप पर भरोसा रखो। सुहानी कहने लगी लेकिन मेरा तो अब सब से भरोसा उठ चुका है और मैं किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकती मेरे साथ जिस प्रकार से घटित हो रहा है वह मैं ही जानती हूं। सुहानी का मूड उस दिन बिल्कुल भी अच्छा नहीं था और वह अकेले ही घर चली गई। मैं सुहानी की परेशानी को समझ सकता था और उसकी तकलीफ को भी मैं समझ सकता था कि वह कितनी ज्यादा तकलीफ में है लेकिन मैं कुछ कर नहीं पा रहा था। सुहानी अपनी जिंदगी को जीना चाहती थी उसकी मदद के लिए मैंने सुहानी का हाथ थाम लिया सुहानी और मैं कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए शिमला चले गए। सुहानी ने अपने घर पर यह बात भी बताई थी जब हम दोनों ही शिमला गए तो उस वक्त हम दोनों एक ही कमरे में रुके हुए थे। सुहानी को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब सुहानी और मै एक कमरे में थे तो भला कौन अपने आपको रोक सकता था। मैं भी अपने आपको रोक ना सका और सुहानी के बदन को मैंने अपनी बाहों में ले लिया सुहानी मेरी बाहों में थी उसकी चूत को मैं सहला रहा था उसके कपड़ों को मैंने उतार कर उसे नंगा कर दिया वह मेरे सामने नग्न अवस्था में खड़ी थी। मैं उसे देख रहा था मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसके स्तनों को मैं चूसने लगा तो मुझे बहुत आनंद आने लगा। मै उसके स्तनों को चूस रहा था मेरे अंदर की गर्मी एक अलग ही सीमा तक पहुंच चुकी थी। मैंने अपने लंड को सुहानी के मुंह में डाल दिया सुहाने ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरु किया वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से चूस रही थी बहुत देर तक उसने मेरे लंड का रसपान किया। मै अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाई वह मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर लेना है।

मैंने उसे कहा पहले मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं वह इस बात से बडी खुश गई। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो मुझे बहुत आनंद आ रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत को चाटता वह उत्तेजित हो गई थी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया मेरा लंड आसानी से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। जब मैं उसकी चूत के मजे ले रहा था तो उस दौरान उसकी चूत से निकलता हुआ खून मैंने देखा और मेरे अंदर की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने हाथों में रख लिया और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत पर प्रहार करता तो वह चिल्लाती हम दोनों के शरीर से इतनी ज्यादा गर्मी बाहर निकलने लगी थी कि मैं उस गर्मी को बिल्कुल झेल नहीं पा रहा था।

सुहानी की चूत से निकलती हुई गर्मी बहुत ज्यादा बढने लगी थी मेरा वीर्य बाहर आने के लिए तैयार था मेरा वीर्य जैसे ही बाहर की तरफ गिरा तो सुहानी ने मुझे गले लगा लिया और कहने लगी सुनील आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी मेरे लिए एक अलग ही फीलिंग है। रात को जब सुहानी और मैं एक ही बिस्तर में थे तो मैंने सुहाने के बदन से कपड़े उतारे और सुहाने की चूत के अंदर उंगली डाली तो सुहानी मचलने लगी थी मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। जब मैं सुहानी की चूत मार रहा था तो उसकी चूतडे मेरे लंड से टकरा रही थी। सुहानी की चूतडे जब मेरे लंड से टकराती तो मेरे अंदर और भी ज्यादा गर्मी बढ़ जाती और मैं लगातार तेज गति से उसे धक्के मार रहा था। मुझे उसे चोदना में बहुत मजा आया और काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ मजे किए जब वह अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक ना सकी तो मैंने सुहानी से कहा मुझे लगता है कि मेरा वीर्य गिरने वाला है थोड़ी ही देर बाद मेरा वीर्य पतन हो गया। मैंने सुहानी को गले लगाते हुए कहा कि सुहानी तुम्हारी शादी हो जाएगी तो तुम मुझे भूल जाओगी? वह कहने लगी मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती सुहानी शादी करने के लिए तैयार नहीं थी और अभी तक सुहानी की शादी नहीं हो पाई है लेकिन हम दोनों सेक्स के पूरे मजे लेते हैं।

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वीर्य वर्षा स्तनों पर | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/veerya-varsha-stanon-par/ Tue, 02 Jul 2019 14:55:52 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3180 Antarvasna, hindi sex story: पिताजी का ट्रांसफर कुछ समय पहले ही हुआ और अब हम लोग रायपुर आ चुके थे रायपुर बिल्कुल नया था और हम लोग आस पड़ोस में किसी को जानते भी नहीं थे। मेरे कॉलेज की पढ़ाई तो पूरी हो चुकी है और मैं घर पर अकेली ही थी तो मैं बहुत बोर हो जाया करती थी इसलिए मैंने अपने पिताजी से कहा कि पिताजी मैं स्कूल में पढ़ाना चाहती हूं। पिताजी को भी इस बात से कोई आपत्ति नही थी उन्होंने कहा कि ठीक है बेटा तुम स्कूल में पढ़ा लो। मैं उसके बाद स्कूल में पढ़ाने लगी जब मैं अपनी छुट्टी के दिन घर पर थी तो पिताजी मुझसे कहने लगे कि बेटा तुम्हारा स्कूल कैसा चल रहा है तो मैंने पिताजी से कहा सब कुछ ठीक चल रहा है। वह मुझे कहने लगे कि बेटा हम लोग कुछ दिनों के लिए तुम्हारे मामा जी के पास चले जाते हैं मैंने पिताजी को कहा क्या आपने ऑफिस से छुट्टी ले ली है तो वह कहने लगे कि हां मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली है। मेरी मम्मी भी इस बात से बड़ी खुश थी कि कम से कम हम लोग कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर तो जाने वाले हैं घर में मैं एकलौती हूं।

पापा ने मुझे यह बात नहीं बताई थी कि मेरे मामाजी के लड़के की सगाई होने वाली है इसी वजह से हम लोग उनके घर जा रहे थे। काफी समय बाद जब मैं कोलकाता अपने मामा जी के पास गई तो उनसे मिलकर मुझे अच्छा लगा लेकिन जब मुझे इस बात की खबर हुई कि मेरे ममेरे भाई की सगाई है तो मैं बड़ी खुश हो गई। काफी समय बाद मैं कोलकाता आई थी इसलिए मैं अपनी छुट्टी का पूरा इंजॉय कर रही थी अब सगाई भी हो चुकी थी और पता ही नहीं चला कि कब एक हफ्ता हो गया। हम लोग अब वापस रायपुर लौट आए थे जब हम लोग वापस रायपुर के लिए लौटे तो उस वक्त ट्रेन मे एक अंकल से हमारी मुलाकात हुई। जब हमें पता चला कि वह भी हमारे पड़ोस में ही रहते हैं तो उन्होंने हमें अपने घर आने के लिए कहा लेकिन हम लोग उनके घर जा ना सके। काफी दिनों बाद वह अंकल मुझे मिले मैं उस वक्त अपने स्कूल से वापस लौट रही थी तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा आप लोग हमारे घर पर नहीं आए। मैंने उन्हें कहा अंकल पापा की छुट्टी नहीं थी इस वजह से हम लोग आ ना सके लेकिन मैं पापा से जरूर कहूंगी और हम लोग आपके घर पर आएंगे।

यह कहते हुए मैं भी अपने घर लौट आई जब मैं घर पर आई तो मैंने मम्मी से कहा कि मम्मी आपको याद है वह अंकल जो हमें ट्रेन में मिले थे आज उनसे मेरी मुलाकात हुई वह कह रहे थे कि आप लोग घर पर आइयेगा। मम्मी कहने लगी कि लगता है अब उनके घर पर जाना ही पड़ेगा। हम लोगों की आस पड़ोस में भी ज्यादा किसी के साथ बातचीत नहीं थी और जब हम लोग उनके घर पर गए तो उन्होंने अपनी पत्नी से हमें मिलवाया वह दोनों लोग घर पर रहते हैं उनका बड़ा बेटा इंग्लैंड में नौकरी करता है और छोटा बेटा बेंगलुरु में रहता है। मैंने अंकल से पूछा अंकल क्या आप घर पर अकेले बोर नहीं हो जाते तो वह कहने लगे कि बेटा अब आदत हो चुकी है रिटायरमेंट को 5 वर्ष हो चुके हैं और अब घर पर रहना ही अच्छा लगता है मैं और तुम्हारी आंटी साथ में समय बिताते हैं और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं। हम लोग उनके घर पर काफी समय तक रुके और फिर वापस हम लोग अपने घर लौट आए मम्मी अंकल की बहुत तारीफ कर रही थी। धीरे-धीरे हम दोनों परिवारों के बीच में अच्छी दोस्ती होने लगी और वह भी कभी हमारे घर आ जाया करते जब भी वह हमारे घर आते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता और हम लोगों को भी बहुत अच्छा लगता था जब हम लोग उनके घर पर जाया करते। मैं अभी भी प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ा रही हूं मैं और मेरी सहेली एक दिन आपस में बात कर रहे थे उसने मुझे बताया कि उसके भैया की शादी है तो उसने मुझे अपने घर पर बुलाया था वह मेरे साथ पढ़ाती है इसलिए मुझे उसके घर पर जाना पड़ा और उसके भैया की शादी मैंने अटेंड की। जब उस दिन मैं वापस लौट रही थी तो मुझे आने में देर हो गई थी पापा और मम्मी इस बात से बहुत चिंतित थे उन्होंने मुझे फोन किया तो मैंने उन्हें कहा पापा मैं बस थोड़ी देर बाद घर आ जाऊंगी। मैं जैसे ही घर पहुंची तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा तुम्हें पता है ना कि तुम कितनी देर में आ रही हो और हम लोग कितना घबरा गए थे मैंने उन्हें कहा मुझे भी डर लग रहा था लेकिन आइंदा से मैं कभी ऐसी गलती नहीं करूंगी।

पापा कहने लगे कि बेटा जब भी कहीं तुम्हें जाना होता है तो तुम अपनी मम्मी को अपने साथ लेकर जाया करो मैंने उन्हें कहा हां पापा आगे से मैं इस बात का ध्यान रखूंगी। कुछ दिनों बाद गोविंद अंकल हमारे घर पर आए गोविंद अंकल जब घर पर आए तो उन्होंने बताया कि उनका बेटा इंग्लैंड से लौट चुका है। मैंने उन्हें कहा चलिए यह तो बड़ी खुशी की बात है क्योंकि उस वक्त मैं भी अपने स्कूल से लौटी रही थी और गोविंद अंकल के साथ काफी देर तक मैंने बात की। मम्मी और मैं ही उस वक्त घर पर थे थोड़ी देर वह घर पर बैठे रहे फिर वह कहने लगे कि मैं चलता हूं लेकिन मम्मी ने उनके लिए चाय बना दी थी इसलिए वह कहने लगे कि चलो चाय पीकर ही मैं चला जाऊंगा। थोड़ी देर बाद वह चाय पीकर अपने घर के लिए चले गए मैं और मेरी मम्मी साथ में बैठे हुए थे और हम दोनों आपस में बात कर रहे थे। मम्मी ने मुझे कहा कि गोविंद जी कितने खुश नजर आ रहे हैं तो मैंने उन्हें कहा हां मम्मी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं जब से उनका बेटा घर पर आया है तो वह बड़े ही खुश हैं। हर दिन की तरह मैं अपने स्कूल सुबह के वक्त निकल जाया करती और तीन चार बजे के आसपास मैं घर लौट आया करती थी।

एक दिन मैं अपने स्कूल से घर लौट रही थी कि तभी मुझे गोविंद अंकल और उनका बेटा दिखाई दिए उनके बेटे से पहली बार ही मैं मिल रही थी तो उन्होंने अपने बेटे से मेरा परिचय करवाया। उनके बेटे से मिलकर मुझे अच्छा लगा और पहली नजर में ही मेरे दिल मे उनके बेटे की तस्वीर छप गई मैं उनके बेटे की तरफ आकर्षित होने लगी थी उनके बेटे का नाम सोहन है। सोहन से मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा सोहन कुछ समय के लिए घर पर ही रहने वाला था इसलिए सोहन से जब मैं मिली तो सोहन से मेरी नजदीकियां बढ़ने लगी हम दोनों की मुलाकात तीन-चार बार ही हुई थी लेकिन हम दोनों के बीच अच्छी बातचीत होने लगी। जब मैं गोविंद अंकल से मिलने के लिए गई तो उस वक्त कोई भी घर पर नहीं था सोहन ही घर पर था, जब मैं सोहन से मिली तो सोहन ने मुझे बताया कि पापा और मम्मी आज अपने किसी दोस्त के घर गए हुए हैं। मैं सोहन के साथ बैठी हुई थी उसने मुझे कहा क्या मैं तुम्हारे लिए चाय बना दूं? मैंने उसे कहा नहीं सोहन रहने दो तुम बेवजह क्यों इतनी तकलीफ कर रहे हो मैं और सोहन साथ में बैठे हुए थे लेकिन मैं तो सोहन की तरफ पूरी तरीके से फिदा थी। सोहन भी इस बात को जानने लगा था मैं उसे अपने स्तनों की लकीर को बार-बार दिखाती मैंने जब अपने स्तनों को सोहान को दिखाया तो सोहन अपने आपको रोक ना सका और सोहन मेरे पास आकर बैठा। सोहन मेरे इतने करीब आ चुका था कि हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकराने के लिए तैयार थे जैसे ही मेरे होंठ सोहन के होठों से टकराए तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह मेरे होठों का रसपान बड़े ही अच्छे तरीके से कर रहा था। वह जिस प्रकार से मेरे होठों का रसपान करता उससे तो मेरी चूत से भी पानी आने लगा था उसने मेरे सूट को खोलते हुए मेरी ब्रा को उतार फेंका और मेरे स्तनों को वह चूसने लगा। पहली बार ही मेरे बदन को किसी ने छुआ था इसलिए मुझे अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से वह मेरे गोरे और सुडौल स्तनों को दबा था उससे मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ जाती बहुत देर तक उसने ऐसा ही किया।

जब उसने मेरी सलवार के नाडे को खोलते हुए मेरी काली रंग की पैंटी को उतारते हुए मेरी चूत को अपनी उंगली से सहलाना शुरू किया तो मैं मचलने लगी मैं इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैंने अपने हाथों मे सोहन के मोटे लंड को लिया। सोहन का 9 इंच मोटा लंड जब मेरे हाथ में था तो मुझे उसकी गर्मी का एहसास हो रहा था मैंने उसे अपने मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा बहुत देर तक मै उसके मोटे लंड को चूसती रही। जब मैं उसके लंड को चूसती तो मेरे मुंह के अंदर सोहन के लंड का पानी गिरने लगा था मेरी चूत से निकलते हुए गर्म पानी को सोहन ने अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और वह बहुत देर तक मेरी चूत का रसपान करता रहा। मेरी चूत पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी सोहन ने अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर डालना शुरू किया उसने मेरे दोनों पैरों को खोल लिया उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक नहीं जा पा रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डालना शुरू किया उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक जा चुका था। वह जिस प्रकार से मुझे चोद रहा था उससे मेरे सुडौल स्तन हिल रहे थे।

मैं सोहन का साथ बडे अच्छे तरीके से दे रही थी मेरे अंदर की गर्मी भी अब बढ़ रही थी मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था जिस प्रकार से सोहन मेरी चूत के मजे ले रहा था उसने मेरी चूत के मजे बहुत देर तक लिए और मेरी चूत से खून निकाल दिया था मेरी चूत से पानी भी निकल रहा था। मैं जब सोहन के लंड को अपनी चूत मे लेने लगी तो मैंने अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करना शुरू किया और उसके लंड को जब मैं अपनी चूत में लेती तो वह मेरे स्तनों को जोर से दबाता काफी देर तक उसने ऐसा ही किया। मैं बिल्कुल भी रहा ना सकी मेरी चूत से निकलती हुई गर्मी को शायद सोहन भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था इसलिए उसने मुझे नीचे लेटाते ही मेरे स्तनों पर अपने वीर्रय की वर्षा कर दी। जिस प्रकार से उसने मेरे स्तनों पर अपने वीर्य को गिराया मुझे बड़ा ही आनंद आया मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। सोहन ने मेरी जवानी को सफल बना दिया था।

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वो रात याद है | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/wo-raat-yaad-hai/ Mon, 01 Jul 2019 16:05:35 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3178 Antarvasna, hindi sex story: मैं रूम में अपना सामान पैक कर रहा था तभी रवीना आई और कहने लगी कि राजीव मैं आपकी मदद कर देती हूं। रवीना अभी-अभी रसोई से खाना बना कर बाहर आई थी और वह मेरे साथ मेरी मदद करने लगी रवीना मुझे कहने लगी कि आपने अपना पजामा तो रख लिया है मैंने रवीना को कहा हां मैंने अपना पजामा रख लिया है। मैं कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस के काम से दिल्ली जाने वाला था इसलिए रवीना मुझे यह सब कह रही थी। मैंने रवीना से कहा मैं ज्यादा सामान तो नहीं लेकर जा रहा हूं क्योंकि मुझे वहां पर दस पंद्रह दिन ही तो रुकना है तो रवीना कहने लगी कि आप अपना ध्यान जरूर रखियेगा और समय पर खाना खा लेना। रवीना को हमेशा यह चिंता सताती रहती कि मैं खाना नहीं खाता हूं दरअसल मैं अपने काम में इतना ज्यादा व्यस्त हो जाता हूं कि कई बार मेरे दिमाग से यह बात निकल ही जाती है और मुझे खाने का ध्यान ही नहीं रहता जिस वजह से मेरी सेहत भी काफी गिरने लगी थी। रवीना ने जोर देते हुए इस बात को दोबारा से मुझे कहा मैंने रवीना को कहा हां रवीना मैं समय पर खाना खा लूंगा तुम मेरी इतनी चिंता मत करो।

हम लोगों की शादी को हुए 5 वर्ष हो चुके हैं इन 5 वर्षों में हमारे जीवन में ज्यादा बदलाव तो नहीं आया लेकिन हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं और मुझे इस बात की भी खुशी है कि रवीना मेरी पत्नी है। जब रवीना और मैं पहली बार एक दूसरे से मिले थे तो हम दोनों पहली नजर में ही एक दूसरे को अपना दिल दे बैठे थे और हमारी जब शादी हो गई तो उसके बाद से अब तक हम दोनों एक दूसरे का साथ बखूबी निभाते आ रहे हैं। रवीना और मेरी जिंदगी में किसी भी बात की कोई कमी नहीं थी मेरे माता-पिता का देहांत हो जाने के बाद रवीना ने हीं घर की सारी जिम्मेदारियों को संभाला है उसने मेरे छोटे भाई और बहन की देखभाल बड़े ही अच्छे से की, उन दोनों ने अपने कॉलेज की पढ़ाई अभी कुछ समय पहले ही पूरी की है। मैं अगले दिन अपने काम के लिए दिल्ली निकल चुका था मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था थोड़ी ही देर बाद ट्रेन आ गई मैंने अपना बैग रखा और मैं ट्रेन में बैठ चुका था। जब मैं ट्रेन में बैठा तो रवीना का फोन मुझे आया और कहने लगी कि क्या आप रेलवे स्टेशन पहुंच चुके हैं तो मैंने रवीना को कहा हां मैं स्टेशन तो बहुत देर पहले ही पहुंच गया था लेकिन तुम्हें बताना भूल गया।

रवीना कहने लगी कि ठीक है जब आप दिल्ली पहुंच जाएं तो आप मुझे फोन कर दीजिएगा मैंने रवीना को कहा ठीक है मैं जब दिल्ली पहुंच जाऊंगा तो तुम्हें फोन कर दूंगा। मैंने रवीना को दिल्ली पहुंचते ही फोन कर दिया था मैं जिस होटल में रुका हुआ था वहां पर व्यवस्था कुछ ठीक नहीं थी इसलिए मैंने अपने ऑफिस के सीनियर से बात की और कहा कि सर यहां होटल में कुछ व्यवस्था ठीक नहीं है उन्होंने होटल के मैनेजर को कहा और उन्होंने तुरंत ही सारी व्यवस्थाएं ठीक कर दी। मेरे रूम का ए सी भी काम नहीं कर रहा था और मुझे कई परेशानियां हो रही थी जिस वजह से मैंने अपने ऑफिस में फोन किया। मैं उस दिन आराम कर रहा था कि तभी रवीना का फोन आया रवीना ने मुझे कहा कि आपने खाना तो खा लिया है मैंने रवीना को कहा अभी तो मैंने खाना नहीं खाया है लेकिन अभी मैं खाना ऑर्डर करवा देता हूं। रवीना ने मुझे कहा कि आप पहले खाना ऑर्डर करवा लीजिए रवीना चाहती थी कि मैं खाना खा लूं इसलिए मैंने उसी वक्त खाने का ऑर्डर किया और थोड़ी ही देर बाद खाना आ गया। मैंने खाना खा लिया था और मैंने रवीना को इस बारे में बता दिया कि मैं खाना खा चुका हूँ। रवीना मुझसे दूर जरूर है लेकिन वह मेरी हर एक बात का ध्यान रखती है मेरा पहला दिन तो रूम में ही निकल चुका था और अगले दिन मैं अपने ऑफिस के काम से चला गया और शाम को मैं वापस लौट आया था। जब मैं शाम के वक्त वापस होटल लौट रहा था तो उस वक्त रास्ते में मेरी कार बंद हो गई जिस वजह से काफी देर तक हम लोगों को इंतजार करना पड़ा लेकिन ड्राइवर ने किसी प्रकार से कार ठीक कर दी और हम लोग होटल तक पहुंच चुके थे। हम लोग जब होटल में पहुंचे तो मैंने रिसेप्शन पर कहा कि थोड़ी देर बाद खाना भिजवा देना तो वह कहने लगी कि ठीक है सर थोड़ी देर बाद खाना भिजवा देंगे। थोड़ी ही देर बाद उन्होंने खाना भिजवा दिया था रवीना का मुझे फोन आया और वह कहने लगी आपने खाना तो खा लिया मैंने उसे कहा हां रवीना मैंने खाना खा लिया है।

मेरी बात रवीना से करीब आधे घंटे तक हुई और फिर मैंने फोन रख दिया था जब मैंने फोन रखा तो उसके बाद मैं अपने और रवीना के पुराने दिन याद कर रहा था कि किस प्रकार से हम दोनों एक दूसरे से पहली बार मिले थे और उसके बाद हम दोनों की शादी हो गई तभी मेरे रूम की डोर बेल बजी। मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने एक व्यक्ति खड़े थे वह मुझे कहने लगे कि क्या आप इसी रूम में रुके हुए हैं मैंने उन्हें कहा हां सर मैं इसी रूम में रुका हुआ हूं। उन्होंने मुझे अपना परिचय दिया और कहने लगे मेरा नाम सुधीर है वह भी कुछ काम से दिल्ली आए हुए थे वह मुझे कहने लगे कि क्या कुछ देर मैं आपके साथ बैठ सकता हूं। उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि वह अपनी बातों से बड़ा प्रभावित कर रहे थे और मैं भी उनके साथ बैठ गया जब वह बात करते तो अपनी बातों से वह बड़ा खुश कर रहे थे और काफी देर तक हम लोग साथ में बैठे हुए थे।

मैंने उनसे कहा कि आप दिल्ली कब तक रुकने वाले हैं तो वह कहने लगे कि मैं अभी कुछ दिन यहां और रुकने वाला हूं सुधीर के साथ समय बिताकर मुझे अच्छा लगा और काफी देर तक वह मेरे साथ बैठे हुए थे उसके बाद वह कहने लगे कि मैं अभी चलता हूं और वह चले गए। जब वह चले गए तो उसके बाद मैं भी सोने की तैयारी में था लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी परंतु थोड़ी देर बाद मेरी आंख लग गई और मैं सो चुका था। अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मैंने चाय ऑर्डर करवा दी और मैं चाय पीने लगा मैं जैसे ही तैयार होकर बाहर निकल रहा था तो सुधीर मुझे दिखाई दिये और कहने लगे कि राजीव जी क्या आप भी अभी जा रहे हैं तो मैंने उन्हें कहा हां मैं अपने काम से जा रहा हूं। वह कहने लगे चलिये हम लोग साथ ही चलते हैं। हम दोनों साथ ही चले गए उन्होंने मुझे कहा कि चलिए अभी तो मैं चलता हूं मैं आपसे शाम के वक्त मुलाकात करता हूं और फिर वह चले गए मैं भी अपने काम पर जा चुका था। शाम के वक्त जब मैं वापस होटल में लौटा तो उस वक्त मुझे सुधीर जी कहीं दिखाई नहीं दिए मैं रूम में ही बैठा हुआ था। थोड़ी देर बाद ही मेरे रूम की डोर बेल बजी मैंने दरवाजा खोला जब मैंने दरवाजा खोला तो मैंने देखा सुधीर जी दरवाजे पर खड़े हैं और उनके साथ एक महिला भी खड़ी है। मैंने उनको अंदर आने के लिए कहा वह महिला भी अंदर आ गई उन्होंने मेरा परिचय उस महिला से करवाया लेकिन उसके हाव भाव मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे उसकी आंखों में जो हवस थी वह मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मुझे जब सुधीर जी ने उसके बारे में बताया था तो मै खुश हो गया। सुधीर जी उसे अपने रूम में ले गए और वहां पर उसके साथ वह चुदाई का खेल खेल रहे थे बहुत देर तक उन्होंने उसके साथ चुदाई के मजे लिए। जब वह मेरे रूम में आए तो वह मुझे कहने लगे आप भी मजे ले लीजिए। मैं जब उनके रूम मे गया तो वह रूम मे थी वह बिस्तर मे लेटी हुई थी। उसने मुझे अपने पास बुला लिया जब मैं उस महिला के पास गया तो उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया मैंने उसके बड़े स्तनों को देखा तो मैं अपने आपको रोक न सका और उसके स्तनों के मजे लेने लगा। मैने बहुत देर तक उसके स्तनों का मजे लिए जब मैं उसके बूब्स को दबा रहा था तो मेरा लंड एकदम से तन कर खड़ा हो रहा था वह उस महिला की चूत में जाने के लिए उत्सुक था।

मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ को निकाल रहा था वह मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकल आया है। मैंने उसे कहा लेकिन तुम्हारी चूत से तो खून निकलना नहीं चाहिए था? वह कहने लगी सुधीर जी ने मेरी चूत के मजे तीन बार लिए अब तुम भी मुझे चोद रहे हो। मैंने उसे कहा तुम तो बडी ही ठरक की रानी हो वह कहने लगी हां मैं अपनी चूत मरवाने की बड़ी जल्दी में रहती हू लेकिन सुधीर जी ने आज मेरी पूरी गर्मी को मिटा कर रख दिया। मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू किया तो वह चिल्ला रही थी जिस प्रकार से वह अपने मुंह से सिसकियां लेकर मुझे अपनी बाहों मे कस रही थी उससे मैं भी उसे अपनी बाहों में ले रहा था और बड़ी तेजी से उसकको चोदता। मैने बहुत देर तक उसे चोदा जब मैं उसे धक्के मार रहा था तो वह चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी आ रहा है और यह कहते ही मेरा वीर्य बाहर की तरफ को आने लगा था।

मेरे पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू किया तो मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था और मेरा वीर्य बाहर आ चुका था मेरा वीर्य उसकी चूत मे गिरा तो मैंने अपने लंड को उसके मुंह के अंदर डाला और कहा तुम इसे चूसती रहो। वह मेरे लंड का मजा बहुत देर तक लेती रही और काफी देर तक उसने मेरे लंड को चूसा जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से मिट गई और दोबारा से उसकी चूत मारने के लिए उत्सुक हो गया। दोबारा जब मैंने उसको चोदा तो मुझे बड़ा ही मजा आया और जिस प्रकार से मैंने उसकी चूत के मजे लिए उससे तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से मिट चुकी थी और मैंने उसकी गर्मी भी मिटा दी हालांकि मेरा वीर्य दोबारा से उसकी चूत के अंदर गिर गया। उसके बाद सुधीर जी और मैं साथ में बैठे रहे मैंने उन्हें कहा आज तो आपने मुझे बड़े मजे दिलवा दिए। वह कहने लगे कोई बात नहीं कल आप मुझे मजे दिलवा देना यह कहते हुए वह हंसने लगे वह भाभी भी रात भर हमारे साथ रही रात भर हम दोनों ने उसकी चूत के मजे लिए।

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भाभी आपके स्तनो पर अब मेरा अधिकार है | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/bhabhi-aapke-stano-par-ab-mera-adhikar-hai/ Sun, 30 Jun 2019 15:45:40 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3176 Antarvasna, kamukta: मैं चेन्नई के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था मेरी पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद हमारे कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कुछ कंपनी आई थी। सब लोग इस बात से बड़े खुश थे कि अब वह लोग एक नया जीवन शुरू करने जा रहे हैं और सब को इस बात की घबराहट भी थी कि क्या उनका कैंपस प्लेसमेंट में सलेक्शन पाएगा। जब मैंने अपना इंटरव्यू दिया तो मुझे पूरी उम्मीद थी कि मेरा सिलेक्शन जरूर हो जाएगा और मेरा सिलेक्शन चेन्नई की ही कंपनी में हो गया मैं बड़ा खुश हुआ और जब मैंने यह बात अपने मम्मी पापा से साझा की तो वह लोग बड़े खुश हुए। मेरे माता-पिता जो दोनों ही अभी भी जॉब कर रहे हैं और वह दोनों पिछले 30 वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। पापा और मम्मी की मुलाकात नौकरी के दौरान ही हुई और उन दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया पापा और मम्मी ने मुझ पर कभी भी किसी बात का कोई दबाव नहीं डाला। पापा और मम्मी इस बात से बड़े ही खुश थे अब मैं अपनी नई कंपनी ज्वाइन कर चुका था। जब मैं पहले दिन ऑफिस में गया तो पहले ही दिन मेरी ऑफिस में अजय के साथ दोस्ती हो गई अजय से मिलकर मुझे अच्छा लगा और अजय के बारे में धीरे धीरे मुझे अब पता चलने लगा था अजय भी मेरे घर पर अक्सर आया करता है।

मुझे कंपनी में एक वर्ष हो चुका था और इस एक वर्ष का मुझे पता ही नहीं चल पाया कि कब मुझे कंपनी में एक वर्ष हो गया। एक दिन मेरे बॉस ने मुझे कैबिन में बुलाया और कहने लगे कि आकाश मैं तुम्हारे काम से बड़ा खुश हूं और मैं चाहता हूं कि तुम कोलकाता चले जाओ मैंने अपने बॉस से कहा ठीक है सर। मैं उनकी बात टाल नहीं सकता था उन्होंने मेरा प्रमोशन एक वर्ष में ही कर दिया था और मेरी सैलरी भी अब बढ़ चुकी थी लेकिन मेरी तनख्वाह बढ़ जाने की वजह से शायद मैं इतना खुश नहीं था। मुझे अब कोलकाता जाना था जब मैंने यह बात अपने माता पिता को बताई तो वह लोग मुझे कहने लगे कि आकाश बेटा तुम कोलकाता जाकर क्या करोगे और हम लोग तुम्हारे बिना घर में अकेले हो जाएंगे। मैं भी चाहता था कि मैं अपने मम्मी पापा के पास रहूं लेकिन मुझे भी तो अपने ऑफिस में प्रमोशन मिला था और मैं चाहता था कि मैं कोलकाता चला जाऊं और फिर मैं कोलकाता चला गया। हालांकि मम्मी पापा इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं थे परंतु मैं कोलकाता चला गया और अब मैं कोलकाता में ही नौकरी करने लगा।

शुरुआत में मुझे घर ढूंढने में बड़ी तकलीफ हुई लेकिन आखिरकार मुझे घर मिल ही गया मैं जिस जगह पर रह रहा था वहां आस पड़ोस में मेरी कुछ ही दिनों में अच्छी बातचीत होने लगी आस पड़ोस में सब लोग बड़े ही अच्छे थे। अजय से मेरी बात फोन पर होती रहती थी अजय मुझे कहने लगा यार तुम भी कोलकाता चले गए मैंने उसे कहा अब तुम्हें तो पता है कि मुझे प्रमोशन भी मिला था और अब मेरी तनख्वाह भी बढ़ चुकी है तो मैंने सोचा कि कोलकाता ही चले जाते हैं। मैं कोलकाता में ही काम करने लगा लेकिन कुछ दिनों बाद मैंने सोचा कि मम्मी पापा से मिल आता हूं इसलिए मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और कुछ दिनों के लिए मैं मम्मी पापा से मिलने के लिए चला गया। जब मैं मम्मी पापा से मिला तो मम्मी पापा से मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा उन लोगों ने भी कुछ दिनों के लिए ऑफिस से छुट्टी ले ली लेकिन वह लोग ज्यादा दिनों के लिए ऑफिस से छुट्टी ना ले सके। मैं तीन हफ्तों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर घर आया था मम्मी पापा ने एक हफ्ते की छुट्टी ली थी और उस दौरान हम लोगों ने साथ में अच्छा समय बिताया। मैं घर में अकेला बोर हो जाया करता था मैंने सोचा कि क्यों ना अपने दोस्तों से मिल आता हूं और जब मैं अपने दोस्त से मिलने के लिए चला गया तो अपने दोस्तो से मिलकर मैं बड़ा खुश हुआ और उसके बाद मैंने अजय से मुलाकात की। अजय मुझसे पूछने लगा कि कोलकाता में कैसा है तो मैंने उसे बताया कि कोलकाता में भी सब कुछ अच्छा है और वहां का माहौल बड़ा ही अच्छा है। मैं शाम को घर लौट आया जब मैं शाम के वक्त घर लौटा तो मम्मी पापा अभी तक ऑफिस से नहीं लौटे थे एक व्यक्ति घर की डोर बेल बजा रहे थे मैं अपने रूम में था मैंने शायद ध्यान नहीं दिया लेकिन जब मैं बाहर आया तो मैंने देखा वह काफी देर से डोरबेल बजा रहे थे।

मैंने उन्हें कहा कि हां भाई साहब कहिए ना क्या काम था तो वह कहने लगे कि मुझे आपके पड़ोस में कोई बता रहा था कि आपके घर में किराए के लिए कमरा खाली है। मैंने उन्हें कहा हां कमरा तो खाली है लेकिन आपके साथ और कौन-कौन रहने वाला है वह कहने लगे कि मेरी शादी कुछ समय पहले ही हुई है मेरी पत्नी मेरे साथ रहेगी। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं इस बारे में अपनी मम्मी और पापा से बात कर लेता हूं आप मेरा नंबर ले लीजिए। मैंने उन्हें अपना नंबर दे दिया और वह कहने लगे कि ठीक है पूछकर मुझे बता दीजिएगा। थोड़ी ही देर बाद मम्मी पापा आ गए मैंने उनसे जब इस बारे में कहा तो उन्होंने मुझे कहा कि ठीक है बेटा तुम उन्हें फोन कर के कल आने के लिए कह देना कल हम लोग घर पर ही रहेंगे। मैंने उन व्यक्ति को फोन किया और कहा कि आप कल घर पर आ जाइएगा तो वह कहने लगे ठीक है मैं कल सुबह ही आपसे मिलने के लिए आ जाऊंगा। अगले दिन सुबह ही वह मिलने के लिए आ गए पापा ने उनसे जब उनके बारे में पूछा तो उन्होंने अपना नाम और अपने बारे में बताया उनका नाम मनोज है। वह कहने लगे कि मैं कल अपना सामान शिफ्ट कर देता हूं इस बात से मम्मी पापा को कोई भी आपत्ति नहीं थी और उन्होंने अगले दिन अपना सामान शिफ्ट करने के बारे में सोच लिया था।

अगले दिन वह लोग अपना सामान शिफ्ट करने के लिए आ गए उनके साथ उनकी पत्नी भी थी मैंने भी उनकी काफी मदद की क्योंकि मैं उस दिन घर पर ही था। अब वह लोग अपना सामान शिफ्ट कर चुके थे तो मैंने उन्हें कहा कि मैं आप लोगों के लिए चाय बना देता हूं वह कहने लगे कि नहीं रहने दीजिए लेकिन मैंने उन्हें घर पर बुला लिया और उनके लिए मैंने चाय बना दी। उनकी पत्नी मुझे कहने लगी कि आपने बेवजह ही कष्ट किया आपको हमारी वजह से तकलीफ हुई मैंने उन्हें कहा नहीं इसमें कोई तकलीफ की बात नहीं है। मैं कुछ दिनों तक घर पर ही रुकने वाला था और इसी दौरान अजय का एक दिन मुझे फोन आया अजय ने मुझे कहा कि मुझे तुमसे मिलना है तो मैं अजय से मिलने के लिए चला गया। मैं जब अजय से मिला तो अजय ने मुझे कहा कि मैं यह कंपनी छोड़ रहा हूं मैंने उसे कहा लेकिन तुम क्यों छोड़ रहे हो। वह कहने लगा कि बस कुछ मेरी पारिवारिक समस्या है जिस वजह से कंपनी छोड़नी पड़ रही है और कुछ समय के लिए मैं घर पर ही रहूंगा। मैं अजय के साथ काफी देर तक बैठा रहा और फिर मैं अपने घर लौट आया। जब मैं अपने घर लौटा तो उस वक्त मनोज घर पर ही थे। मनोज मुझे कहने लगे आकाश आज आप कहीं चले गए थे? मैंने उन्हें कहा हां मैं आज अपने दोस्त से मिलने के लिए चला गया था मैं मनोज के साथ बात कर रहा था तो उनकी पत्नी कविता भाभी भी कहने लगी मनोज आप कही जाने वाले थे? मैंने उनसे पूछा आप कहां जा रहे हैं? वह कहने लगे मुझे कुछ जरूरी काम से जाना है और मनोज कुछ देर बाद चले गए। मैं जब छत पर गया तो मैंने देखा उस वक्त कविता भाभी छत पर ही थी। जब वह छत पर थी तो मैं उन्हें देख रहा था वह मेरे पास आकर मुझसे बात करने लगी। मैं उनके सुडौल स्तनो को देख रहा था मेरे अंदर से यह इच्छा जाग रही थी कि मैं उनके स्तनों पर अपने हाथ को लगा दूं। मुझे क्या पता था जैसे ही मैं उनके बूब्स पर हाथ लगाऊंगा तो वह भी मुझसे चूदने के लिए तैयार हो जाएंगी। मैंने जब अपने हाथों को उनके बूब्स पर लगाया तो वह मुझसे चूत मरवाने के लिए तैयार हो गई मुझे वह अपने रूम में ले गई।

जब मैंने उनकी साड़ी को ऊपर करते हुए उनकी जांघ को दबाना शुरू किया तो वह मचलने लगी मैंने उनके होंठों को बहुत देर तक चूमा और उनके ब्लाउज को खोलते हुए जब मैने उनकी ब्रा को उतार दिया तो उनके स्तन मैं अपने मुंह में लेकर चूस रहा था। उनके बूब्स को चूसने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और उनके बड़े बड़े बूब्स को जब मैं अपने मुंह में लेता तो वह भी मुझसे कहती और चूसो। मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड को चूसो? उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह मे लेकर मेरे लंड का पूरा जूस बाहर निकाल दिया वह मेरे लंड को चूस रही थी। मुझे ऐसा लगा जैसे उनको लंड को चूसने में महारत हासिल हो मैंने भी उनकी चूत के अंदर अपनी उंगली डाली तो वह अपने पैरों से मुझे दबाने की कोशिश करने लगी। मैंने उनकी गर्मी बढ़ाने के लिए उनकी चिकनी चूत को चाटना शुरू किया उनकी चिकनी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ रही थी उससे मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था। मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर घुसाना शुरू किया धीरे-धीरे मेरा लंड उनकी चूत के अंदर जा चुका था।

अब उनके मुंह से चीख निकल रही थी वह मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर होता तो मुझे बड़ा ही मजा आता। वह मुझे अपने दोनों पैरों के बीच मे जकडने की पूरी कोशिश करती लेकिन मैंने भी उनको बहुत तेजी से चोदा वह मुझे कहती आप मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहिए मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था और जब मैं उनकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता तो मेरा लंड उनकी चूत की दीवार से टकरा रहा था और उनकी चूत से एक अलग ही प्रकार की आवाज आती। मैंने उन्हें कहा भाभी आप तो बड़ी कमाल है, वह कहने लगी आज तो आपने मेरे बदन की गर्मी को महसूस कर ही लिया है आज के बाद जब भी मुझे जरूरत होगी तो मैं आपको बुला लिया करूंगी। इस बात से मैं बड़ा खुश था उन्होंने कहा लेकिन मैं तो कुछ दिनों बाद चला जाऊंगा? वह कहने लगी कोई बात नहीं हम लोग फोन पर भी बात करते रहेंगे। वह अपने मुंह से जिस प्रकार की मादक आवाज मे सिसकिया निकाल रही थी उससे मेरा वीर्य बाहर आने लगा। मेरा वीर्य जब गिरने वाला था तो मैंने अपने वीर्य को उनके मुंह के अंदर ही डाल दिया। कविता भाभी के साथ सेक्स करने का मजा बड़ा ही अच्छा था जितने दिन में घर पर था तो भाभी को चोदता था। अब मै वापस लौट चुका था।

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दोस्त की ठरकी पत्नी की ठरक | uwrena.ru //uwrena.ru/free-sexstories/dost-ki-tharki-patni-ki-tharak/ Sat, 29 Jun 2019 13:07:08 +0000 //uwrena.ru/free-sexstories/?p=3174 Antarvasna, hindi sex story: मेरे दोस्त ने मुझे डिनर पर इनवाइट किया था मैं अपनी पत्नी को लेकर अपने दोस्त के घर गया जब मैं अमित के घर पहुंचा तो मेरी पत्नी कहने लगी कि अमित का घर तो बहुत ही अच्छा है। मेरी पत्नी अमित से एक दो बार पहले भी मिल चुकी थी लेकिन मैं अमित की पत्नी से पहली बार ही मिलने वाला था। अमित और मेरी दोस्ती काफी पुरानी है लेकिन अमित का परिवार इंदौर रहने के लिए चला गया था काफी वर्ष वह लोग इंदौर में रहे और जब अमित की शादी हो गई तो उसके बाद अमित की नौकरी बेंगलुरु में लग गई। जब हम लोग अमित के घर पर गए तो अमित की पत्नी और अमित ने हम लोगों का बड़ा ही अच्छे से स्वागत किया। अमित ने अपनी पत्नी से हम लोगों का परिचय करवाया अमित ने मुझसे कहा कि यह मेरी पत्नी आकांक्षा है अमित की पत्नी आकांक्षा भी हम लोगों से मिलकर बड़ी खुश थी। अमित ने मेरे और मेरी पत्नी का परिचय भी आकांक्षा से करवाया अमित की शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। हम लोग अमित के घर देरी से पहुंचे थे तो मैंने अमित से कहा कि अमित हम लोगों को जल्दी घर निकलना होगा। अमित कहने लगा कि अभी तो तुम लोग आए हो हम लोगों ने जल्दी से डिनर किया और उसके बाद हम लोग अपने घर वापस लौट आए।

जब हम लोग घर वापस लौटे तो मैंने देखा घर की लाइट अभी तक खुली हुई थी जैसे ही हम लोगों ने दरवाजे की डोर बेल को बजाया तो मम्मी ने तुरंत दरवाजा खोल लिया और मम्मी कहने लगी कि बेटा तुम लोग बड़ी जल्दी आ गए। मैंने मम्मी से कहा मम्मी आप अभी तक सोए क्यों नहीं हैं मम्मी कहने लगी कि बेटा मुझे नींद नहीं आ रही थी और ना जाने मुझे क्यों अजीब सी बेचैनी हो रही है। मैंने मम्मी को कहा मम्मी आप सो जाती मम्मी कहने लगी कि बेटा मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही है और मुझे ऐसा लग रहा है कि शायद मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है। मैंने मम्मी को कहा कि आप को डॉक्टर के पास ले कर चलना है वह कहने लगी कि नहीं बेटा मुझे डॉक्टर के पास तो नहीं जाना लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी ना जाने मुझे एक बुरा स्वप्न हुआ जिसकी वजह से मेरी नींद खुल गई और उसके बाद मुझे नींद ही नहीं आई।

काफी देर तक हम लोग मम्मी के साथ बैठे रहे जब मम्मी को नींद आने लगी तो मम्मी रूम में चली गई और वह सो चुकी थी मैं और कविता अपने कमरे में आकर सो चुके थे क्योंकि हम लोगों को भी नींद आ रही थी। अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो मैंने कविता को कहा क्या आज अखबार वाला नहीं आया तो कविता कहने लगी कि नहीं राजेश आज अखबार वाला नहीं आया। मैंने कविता से कहा ना जाने आज वह क्यों नहीं आया तो कविता कहने लगी कि बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है शायद इसी वजह से वह नहीं आया होगा। मैंने जब घर के बाहर देखो तो बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी कविता मुझे कहने लगी कि आज तो बहुत तेज बारिश हो रही है। मुझे ऑफिस भी जाना बहुत जरूरी था और मैं अब ऑफिस के तैयार होने लगा। मैं ऑफिस के लिए तैयार हो चुका था और मैं नाश्ता कर ही रहा था कि अमित का फोन मुझे आया और वह कहने लगा कि राजेश क्या तुम मुझे लेने के लिए घर पर आ जा सकते हो। मैंने उसे कहा अमित लेकिन घर पर सब ठीक तो है ना अमित कहने लगा हां राजेश सब कुछ ठीक है लेकिन मेरी कार आज स्टार्ट ही नहीं हो रही है तो मैं सोच रहा हूं कि यदि तुम मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ देते तो अच्छा रहता। मैंने अमित को कहा ठीक है मैं अभी थोड़ी देर बाद घर से निकलता हूं अभी मैं नाश्ता कर रहा हूं, जैसे ही मैंने नाश्ता खत्म किया तो मैं अमित को लेने के लिए उसके घर चला गया। मैं अमित के घर पहुंचा तो अमित तैयार हो चुका था लेकिन बारिश काफी तेज हो रही थी तो अमित ने कहा थोड़ी देर हम लोग रुक जाते हैं। थोड़ी देर के लिए हम लोग अमित के घर पर ही रुक गए लेकिन बारिश अभी तक रुकी नहीं थी मुझे भी अपने ऑफिस के लिए देर हो रही थी इसलिए अमित ने मुझे कहा कि चलो राजेश हम लोग अब ऑफिस निकलते हैं। मैंने अमित को उसके ऑफिस छोड़ा और वहां से मैं अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा मैं अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो सब लोग सिर्फ बारिश के बारे में ही चर्चा कर रहे थे क्योंकि बारिश रुक ही नहीं रही थी और सड़कों पर बहुत ज्यादा जाम लगने लगा था जिसकी वजह से कई लोग अभी तक ऑफिस नहीं पहुंचे थे। हमारे बॉस भी ऑफिस नहीं पहुंचे थे लेकिन हम लोगो का काम शुरू हो चुका था दोपहर के वक्त भी बारिश नहीं रुकी थी उस दिन समय ऐसा लग रहा था जैसे कि बड़ी धीमी गति से चल रहा है।

शाम के 5:00 बजे थे तो अमित का मुझे फोन आया और अमित कहने लगा कि राजेश तुम मुझे लेने के लिए ऑफिस में आ जाओगे मैंने अमित को कहा ठीक है अमित मैं तुम्हारे ऑफिस में तुम्हें लेने के लिए आ जाऊंगा। मैं अपने ऑफिस से 6:30 बजे निकल चुका था और अमित के ऑफिस पहुंचने में मुझे करीब आधा घंटा लग गया। मैं अमित के ऑफिस पहुंचा अमित अपने ऑफिस के बाहर ही मेरा इंतजार कर रहा था अमित जल्दी से मेरी कार में बैठा और हम दोनों घर की तरफ निकल पड़े लेकिन रास्ते में अचानक कार बंद हो गई। बारिश रुकी नहीं थी मैंने अमित से कहा अमित अभी हमें क्या करना चाहिए तो अमित कहने लगा थोड़ी देर हम लोग यही इंतजार करते हैं क्योंकि बाहर तो काफी तेज बारिश हो रही है। करीब 15 मिनट तक हम दोनों बारिश रुकने का इंतजार करते रहे लेकिन अभी तक बारिश रुकी नहीं थी आखिरकार मुझे देखना ही पड़ा कि कार में क्या दिक्कत आई है परंतु मुझे कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था और मैं पूरी तरीके से भीग चुका था।

अमित मुझसे कहने लगा कि मुझे लगता है कि हमें किसी को यहां बुलाना चाहिए मैंने अमित से कहा लेकिन इस वक्त कौन मकैनिक हमारे पास आएगा बारिश काफी तेज हो रही है। हम लोगों ने एक व्यक्ति से लिफ्ट मांगी और हम लोग आगे तक गए थोड़ी ही दूरी पर एक सर्विस सेंटर था वहां पर जब हम लोगों ने दुकान के मालिक से बात की तो वह हमारे साथ आने के लिए तैयार हो गए। जब वह हमारे साथ आए तो उन्होंने हमारी कार थोड़ी देर में ही ठीक कर दी हम लोग अब घर के लिए निकल चुके थे क्योंकि काफी देर हो चुकी थी इसलिए कविता का फोन मुझे बार-बार आ रहा था। जब हम लोग अमित के घर पहुंचे तो आकांक्षा कहने लगी कि आप अपने कपड़े बदल लीजिए अमित ने भी कहा कि हां आकांक्षा ठीक कह रही है। मैंने भी सोचा कि मुझे अपने कपड़े वाकई में बदल लेना चाहिए क्योंकि मुझे यज डर था कि कहीं मेरी तबीयत खराब ना हो जाए। अमित ने मुझे कपड़े दिये मैंने कपड़े चेंज कर लिए आकांक्षा ने मेरे लिए और अमित के लिए गरमा गरम चाय बनाई। अमित और मैंने चाय पी उसके बाद हम दोनों साथ में बैठकर बात करने लगे बारिश होने लगी थी लेकिन आकांक्षा कहने लगी कि आज आप यही खाना खा लीजिए। आकांक्षा ने मेरे और अमित के लिए खाना बना दिया हम दोनों ने खाना खाया। जब मैं बाथरूम में गया तो उस वक्त बाथरूम का दरवाजा खुला ही था मैं बाथरूम में गया तो मैंने देखा आकांक्षा बाथरूम में थी। जब वह बाथरूम में थी तो वह मेरी तरफ देखने लगी मैं भी उसके गोल और सुडौल स्तनों को देखकर अपनी नजर उसके स्तनों से हटा ना सका और उसके स्तनों को मैंने दबा दिया वह भी उत्तेजित हो गई थी। मैंने उसको होठों को चूम लिया उसके होठों का रसपान करने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था बहुत देर तक मैं उसके होठों को चूमता रहा लेकिन वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी।

मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी उंगली को डाला जब मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली को डाला तो उसे भी मजा आने लगा और तभी अमित की आवाज हम दोनों को सुनाई दी हम दोनों जल्दी से बाथरूम से बाहर निकले। मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था मैंने अपने लंड को अपने अंडरवियर के अंदर डालने की कोशिश की लेकिन वह अंडरवियर से बाहर आने की कोशिश कर रहा था थोड़ी देर बाद मेरा लंड अपने आप ही सो गया। जब मैं अपने घर गया तो आकांक्षा का फोन मेरे नंबर पर आया आकांक्षा ने मुझे कहा कि आज तुमने मेरे बदन की गर्मी को बढ़ा दिया है। अगले दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली अमित अपने ऑफिस जा चुका था मेरे पास बहुत ही समय था। मैं जब आकांक्षा के पास गया तो आकांक्षा मुझे देखकर खुश हो गई मैंने जब आकांक्षा को अपनी बांहों में लिया तो मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया और उसके होठों को चूम कर मुझे बड़ा ही आनंद आ रहा था बहुत देर तक मैं उसके होंठों का रसपान करता रहा उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेने की बात कही मैंने उसके मुंह के अंदर अपने लंड को घुसा दिया।

मेरा लंड आकांक्षा के मुंह के अंदर जा चुका था जिस प्रकार से वह मेरे लंड का रसपान कर रही थी मुझे बड़ा आनंद आ रहा था थोड़ी देर बाद मैंने आकंक्षा की चूत मे अपनी उंगली को डालकर अंदर बाहर करना शुरू किया आकांक्षा की चूत से पानी निकलने लगा था। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो मुझे गर्मी का एहसास होने लगा। आकांक्षा को मैंने घोड़ी बनाया हुआ था जब उसकी चूत के अंद मेरा लंड चला गया तो मैं उसे बडी तेजी से धक्के मारने लगा मैं उसे बहुत ही तेजी से धक्के मार रहा था मुझे उसे चोदने में बड़ा आनंद आता उसकी चूतडे मेरे लंड से टकरा रही थी। जिस प्रकार से उसकी चूतडो का रंग लाल होने लगा था उससे मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैं अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था काफी देर तक मैं ऐसा ही करता रहा लेकिन जब मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत के अंदर गिराया तो वह बड़ी खुश हो गई और कहने लगी आज तो तुमने मेरी गर्मी को मिटा दिया आगे भी तुम ऐसे ही मेरी गर्मी को मिटाते रहना। उसे मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने में बड़ा मजा आया था वह आगे भी इसी उम्मीद में थी कि मैं उसको चोदता रहूंगा। मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं आकांक्षा के पास चला जाया करता।

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