Antarvasna, kamukta: मेरी शादी शुदा जिंदगी बिल्कुल भी ठीक नहीं चल रही थी मुझे कई बार लगता कि मुझे मनीषा को डिवोर्स दे देना चाहिए। मनीषा और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ा करते थे और हम दोनों ने शादी करने का फैसला किया शायद यह फैसला मेरे लिए गलत साबित हुआ क्योंकि शादी के बाद मनीषा का व्यवहार पूरी तरीके से बदलने लगा और मनीषा मेरे साथ पहले की तरफ बिल्कुल भी नहीं रहती थी वह पूरी तरीके से बदल चुकी थी। मैंने और मनीषा ने अपने कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो जाने के बाद जॉब करने का फैसला किया और हम दोनों जॉब करने लगे जॉब करने के दौरान मनीषा का व्यवहार बदलता चला गया मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मुझे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए मैं यह बात किसी को बता भी नहीं पाया और मैं अंदर ही अंदर टूटता जा रहा था। मनीषा और मैं अपने काम से शाम के वक्त ही घर लौटा करते और शाम को ही हम लोगों के बीच थोड़ी बहुत बातें हुआ करती थी वह भी तब जब मनीषा को मुझसे कोई काम होता था तभी वह मुझसे बात किया करती थी।
पहले मनीषा ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन शादी होने के कुछ महीनों बाद ही उसका व्यवहार पूरी तरीके से बदलने लगा था और मुझे लगने लगा था कि मुझे मनीषा को डिवोर्स दे देना चाहिए। कई बार मेरा मन हुआ कि मैं मनीषा को डिवोर्स दे दूं लेकिन फिर मुझे लगता कि मैंने हीं तो मनीषा को अपने प्यार का इजहार किया था और क्या ऐसा करना ठीक होगा। मनीषा ने मुझे एक दिन यह बात कही कि गौतम मैं तुमसे डिवोर्स लेना चाहती हूं मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती हूं। मैंने मनीषा को कहा कि क्या हमें एक बार अपने रिलेशन को दोबारा से शुरू करना चाहिए तो वह मुझे कहने लगी कि मुझे नहीं लगता कि अब हम दोनों एक दूसरे के साथ दोबारा से पहले की तरह ही जिंदगी बिता पाएंगे।
शादी के बाद हम दोनों के बीच सब कुछ बदलता चला गया और अब मनीषा और मैंने डिवोर्स लेने के बारे में सोच लिया था। मनीषा भी अपने घर चली गई थी और जल्द ही हम दोनों का डिवोर्स हो गया डिवोर्स हम दोनों की रजामंदी से हुआ था इसलिए किसी को भी कोई एतराज नहीं था। हालांकि मेरे पापा मम्मी ने मुझे इस बारे में काफी कहा था कि तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो लेकिन हम दोनों ने इस बारे में बात करना ठीक नहीं समझा और हम लोगों ने डिवोर्स ले लिया। मैं चेन्नई में ही नौकरी कर रहा था लेकिन डिवोर्स के बाद मैं अपने परिवार के पास चला गया। मैं अपने परिवार के पास जब लखनऊ गया तो वहां मैं उनके साथ ही रहने लगा मेरी जिंदगी पूरी तरीके से बदल चुकी थी मैं ज्यादा किसी से बात नहीं किया करता था। लखनऊ में ही मैंने एक कंपनी में जॉब करना ठीक समझा और वहीं पर मैंने जॉब कर ली मैं अब लखनऊ में जॉब करने लगा था मुझे करीब 6 महीने हो चुके थे 6 महीने मैंने लखनऊ में जॉब की लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं शायद लखनऊ में ज्यादा समय तक नौकरी नहीं कर पाऊंगा इसलिए मैं दिल्ली चला आया। दिल्ली में ही मैंने एक कंपनी में इंटरव्यू दिया और उस कंपनी में मेरा सिलेक्शन हो गया वह एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी थी वहां पर मुझे अच्छे सैलरी पैकेज पर नौकरी मिल चुकी थी। मैं दिल्ली में जॉब करने लगा मेरे लिए अब सब कुछ बदलता जा रहा था मनीषा के मेरे जीवन से चले जाने के बाद मेरी जिंदगी जैसे अस्त-व्यस्त हो गई थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे अब ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। काफी समय बाद मुझे मनीषा का भी फोन आया था और वह मुझे कहने लगी कि गौतम तुम कैसे हो उसने मुझसे मेरे हालचाल पूछे तो मैंने उसे बताया कि मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम कैसी हो? उसने मुझे कहा कि मैं भी ठीक हूं। मनीषा ने मुझे बताया कि बहुत जल्द वह शादी करने वाली है मुझे कुछ समझ नहीं आया आखिर इतनी जल्दी मनीषा कैसे शादी कर सकती थी। मेरे मन में ना जाने कितने ही सवाल दौड़ रहे थे लेकिन मेरे पास किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं था पर मैंने अब इसे भूलना ही ठीक समझा और उसके बाद मैंने अपनी जिंदगी से मनीषा को हमेशा के लिए निकाल दिया था और अब मैं उसके बारे में कभी भी सोचता नहीं था। मैं दिल्ली में जिस कंपनी में जॉब करता था उसी कंपनी में हमारी बॉस की बेटी सुनिधि से मेरी बात हुई सुनिधि दिखने में बहुत ही सुंदर और दिल की बहुत ही अच्छी है।
उससे जब भी मैं बात करता तो मुझे अच्छा लगता हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती होने लगी थी और सुनिधि चाहती थी कि मैं उसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा समय बिताया करूं। हालांकि हम दोनों साथ में समय बिताते जरूर थे लेकिन मेरे मन में एक दुविधा यह भी थी की क्या सुनिधि को मैं पसंद करता हूं और अगर सुनिधि ने मेरे रिश्ते को स्वीकार कर लिया तो कहीं मनीषा की तरह वह भी मुझे छोड़ कर ना चले जाए। मेरे मन में ना जाने कितने ही सवाल दौड़ रहे थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए। कुछ दिनों के लिए सुनिधि अपने किसी रिश्तेदार के पास मुंबई जा रही थी और वह कुछ दिनों के लिए मुंबई में ही रहने वाली थी। करीब एक महीने बाद जब सुनिधि वहां से वापस लौटी तो मैंने अपना पूरा मन बना लिया था कि मैं उससे अपने दिल की बात कह कर ही रहूंगा लेकिन फिर भी मैं हिम्मत नहीं कर पाया। हम दोनों साथ में काफी समय बिताया करते थे और ऑफिस में जब भी कोई जरूरी काम होता तो सुनिधि मुझसे कहती। उसे कभी भी कुछ बात शेयर करनी होती थी तो वह मुझसे ही अपनी बातें शेयर किया करती थी क्योंकि सुनिधि के पापा के पास ज्यादा समय नहीं होता था और उसकी मां अपने काम के चलते बिजी ही रहती थी इसलिए वह मुझसे ही अपने दिल की बातें शेयर किया करती थी।
मुझे भी उसके साथ बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं सुनिधि के साथ बात करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता था सुनिधि और मैं एक दूसरे से काफी बातें करने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे के बहुत नजदीक आने लगे थे। मैं और सुनिधि अब एक-दूसरे के नजदीक आ चुके थे तो जल्द ही मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी थी और मैंने जब उसे अपने दिल की बात कही तो सुनिधि ने भी उसे स्वीकार कर लिया था और हम दोनों एक दूसरे के साथ टाइम बिताने लगे थे। सुनिधि के पापा इस बात से अनजान थे और उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था। मैं और सुनिधि ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताने की कोशिश किया करते थे एक दिन सुनिधि ने मुझे अपने घर पर बुलाया उस दिन सुनिधि और मैं उसके घर पर अकेले थे। उस दिन जब मैंने पहली बार उसके नरम होठो को चूमा तो वह अपने अंदर की जवानी को रोकने ना सकी। मुझे उसने कहा तुम आज मेरे पास ही रुक जाओ मैंने उसे कहा तुम्हारे पापा और मम्मी आ जाएंगे तो वह कहने लगी कोई बात नहीं गौतम लेकिन जब उसने मेरी पैंट को खोलते हुए मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरु किया तो मुझे अच्छा लग रहा था। अब उसने मेरे लंड को मुंह के अंदर ले लिया वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी उसे सकिंग करने में मजा आ रहा था और वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल दिया था और मेरे अंदर की गर्मी को उसने बढ़ा दिया था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे तरीके से सेक्स का मजा लेना चाहते थे मैं उसको बिस्तर पर लेटा दिया जब मैंने उसे बेड पर लेटाया तो मैं उसके कपड़े उतारकर उसकी ब्रा को खोलने लगा हालांकि मुझे उसकी ब्रा को खोलने में थोड़ा परेशानी जरूर हुई लेकिन जैसे ही मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया तो अब मैं उसकी चूत को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगा।
मैंने जब उसके बूब्स को अपने मुंह के अंदर लिया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा आनंद आ रहा था मै काफी देर तक उसके बूब्स को चूसता रहा और मैंने उसके स्तनों से दूध निकाल लिया था। मेरी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था वह भी बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी मैंने जब उसकी पैंटी को उतारा तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ निकल आया था। उसकी चूत पर मैंने जैसे ही अपनी जीभ का स्पर्श किया तो उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मुझे भी बहुत मजा आने लगा था अब मैं उसकी योनि को अच्छे से चाट रहा था। मैंने जब उसकी योनि को चाटकर पूरी तरीके से गिला कर दिया तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा उसे बहुत अच्छा लगने लगा था अब मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करने के बाद जब उसकी चूत के अंदर बाहर मैंने अपने लंड को धक्का मारना शुरू किया तो वह मचलने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मुझे धक्के मारते रहो।
मैं उसको ऐसे ही धक्के मार रहा था और वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी मुझे एहसास होने लगा था कि उसकी चूत से बहुत ज्यादा खून निकलने लगा है। अब वह बहुत ही ज्यादा मचलने लगी थी उसने अपने दोनों पैरों को ऊपर करने की कोशिश की तो मैंने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया और मै उन्हे बड़े अच्छे से धक्का देने लगा मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करता तो मुझे बहुत ही मज़ा आने लगता और उसे भी बड़ा आनंद आने लगा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आ रहा है अब मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और उसे बडी तीव्रता से चोदना शुरू किया। मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था और मेरा माल जैसे ही बाहर की तरफ गिरा तो मैं खुश हो गया और सुनिधि भी खुश हो चुकी थी। हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बन चुका था अब हमेशा ही हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लेने के बारे में सोचते थे।