अर्चिता की मादक सिसकियाँ


Antarvasna, kamukta: मैंने जिस कॉलेज में सोचा था उसी कॉलेज में मेरा एडमिशन हो गया और मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि जिस कॉलेज में मैं सोचा करता था उसी कॉलेज में मेरा एडमिशन हो गया। मैंने उस कॉलेज में दाखिला ले लिया था और जब कॉलेज का मेरा पहला दिन था तो उस दिन मैं अपनी क्लास में गया। उस दिन पहली बार जब मैंने कल्पना को देखा तो मुझे कल्पना को देखते ही प्यार हो गया और मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं उसे प्यार करने लगा हूं। कल्पना और मैं एक दूसरे के साथ  बहुत ही ज्यादा खुश थे क्योंकि कल्पना और मैं अब एक दूसरे के दोस्त बन चुके थे हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी थी। जब हम लोगों का कॉलेज का पहला वर्ष खत्म हो गया तो कल्पना और मेरे बीच में प्यार भी होने लगा हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे और एक दूसरे के बिना हम लोग बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे।

मैं जब भी कल्पना के साथ होता तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगता और ऐसा लगता कि बस मैं कल्पना के साथ बस समय बिताता जाऊं। समय के साथ अब हम दोनों का कॉलेज भी पूरा हो गया था अब हम दोनों का कॉलेज पूरा हो जाने के बाद मेरी एक कंपनी में जॉब लग गई लेकिन कल्पना अभी जॉब नहीं कर रही थी। मेरी कल्पना से फोन पर बात होती रहती थी लेकिन मैं कल्पना से मिल नहीं पाता था काफी समय हो गया था जब मैं कल्पना को मिला भी नहीं था। मैंने एक दिन कल्पना को फोन किया मैंने जब उसे फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि हां शेखर कहो क्या काम था तो मैंने कल्पना को कहा कि मुझे आज तुमसे मिलना है इतने दिन हो गए हैं हम लोगों की मुलाकात भी तो नहीं हुई है। कल्पना ने मुझे कहा कि हां मैं तुमसे मिलने के लिए तैयार हूँ। हम दोनों ने मिलने का फैसला किया जब हम दोनों मिले तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और कल्पना भी काफी ज्यादा खुश थी। मैंने कल्पना को कहा की हम लोग कितने दिनों बाद मिल रहे हैं कल्पना मुझे कहने लगी कि मुझे मालूम है और मैं तुम्हें बहुत ज्यादा मिस भी करती हूं।

मैंने कल्पना को कहा कल्पना मैं चाहता हूं कि हम दोनों एक दूसरे के परिवार वालों से बात करें, मैंने कल्पना को यह कहा तो कल्पना मुझे कहने लगी कि लेकिन शेखर किस लिए तो मैंने कल्पना को कहा मैं तुम्हारे साथ शादी करना चाहता हूं। कल्पना मुझे कहने लगी कि अभी मेरी शादी की उम्र नहीं हुई है और मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं। मैंने यह फैसला कल्पना पर हीं छोड़ दिया था। कल्पना अभी शादी के लिए तैयार नहीं थी और वह शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन मैंने भी अब सब उसके ऊपर ही छोड़ दिया था कि उसे क्या करना है। कल्पना और मैं एक दूसरे के साथ समय तो बिताते थे और एक दूसरे को मिला भी करते थे लेकिन कल्पना शादी के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। कल्पना भी अब एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगी थी कल्पना की जॉब अच्छी कंपनी में लग चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे से अब कम ही मिला करते थे लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि कल्पना मुझे अब धोखा देने वाली है। नंदिनी अब अपने ऑफिस में काम करने वाले किसी लड़के के साथ अफेयर में थी मुझे इस बारे में पता चला तो मैंने कल्पना से बात करने के बारे में सोचा।

मैंने जब उसे इस बारे में कहा तो कल्पना मुझे कहने लगी कि शेखर तुम मुझ पर शक कर रहे हो लेकिन ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं था मैं कल्पना पर शक नहीं कर रहा था बल्कि मुझे यह बात साफ पता थी कि कल्पना अपने ऑफिस में काम करने वाले उस लड़के के साथ रिलेशन में है। मैं पूरी तरीके से टूट चुका था और मैं बहुत ज्यादा दुखी था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। मैंने कल्पना को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन उसे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। उसने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा किया जिससे मैं बहुत ज्यादा दुखी हो गया था और फिर उसने मेरा साथ छोड़ दिया था। कल्पना अब मेरा साथ छोड़कर उसी लड़की के साथ रिलेशन में थी और उन लोगों ने शादी करने के बारे में भी सोच लिया था यह बात सुनकर मैं पूरी तरीके से टूट चुका था।

मैं जब भी अपने पुराने दिन याद करता तो मुझे बहुत ज्यादा बुरा लगता लेकिन समय के साथ अब मुझे आगे बढ़ना था और मैं अपनी पुरानी यादों को भूल कर आगे बढ़ चुका था। मुझे नहीं मालूम था कि मेरी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव आएगा, मेरी जिंदगी में जब अर्चिता आई तो अर्चिता के आने से मेरी जिंदगी में वापस वह खुशियां लौट आई थी। अर्चिता और मैं एक दूसरे को डेट करने लगे थे अर्चिता से मैं पहली बार एक पार्टी के दौरान मिला था। जब उससे मेरी मुलाकात उस पार्टी में हुई तो हम दोनों को एक दूसरे का साथ काफी अच्छा लगा और मैं अर्चिता को अपने बारे में सब कुछ बता चुका था। अर्चिता मेरे बारे में सब कुछ जान चुकी थी और वह मेरे साथ काफी ज्यादा खुश थी हम दोनों साथ में समय बताते तो हम दोनों को अच्छा लगता। अर्चिता को मेरे साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता था हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश थे। मैं अब कल्पना के बारे में भूल कर आगे बढ़ चुका था और मेरी जिंदगी मे अर्चिता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी क्योंकि अर्चिता के मेरी जिंदगी में आने से मेरी जिंदगी में सब कुछ सामान्य हो चुका था और मैं काफी ज्यादा खुश था।

अर्चिता के आने से मेरे जीवन में वही खुशियां दोबारा से लौट चुकी थी जो कि मेरी जिंदगी से दूर हो चुकी थी। अर्चिता की वजह से ही मेरी जिंदगी में बदलाव आया हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते है। मैं काफी ज्यादा खुश था और अर्चिता भी मेरे साथ बहुत खुश थी। मैं चाहता था मैं अर्चिता के साथ शादी कर लूं। जब मैंने अर्चिता को इस बारे में कहा तो अर्चिता को भी कोई एतराज नहीं था और हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। हमारे परिवार वालों को भी हमारी शादी से कोई एतराज नहीं था और अब हम दोनों की शादी हो चुकी थी। अब हम दोनों की शादी हो गई। जब मेरे और अर्चिता की पहली सुहागरात थी तो मैं काफी खुश था और अर्चिता भी बहुत ज्यादा खुश थी। मेरे हाथों में अर्चिता का हाथ था मैं उसके होठों को चूमने लगा था मुझसे एक पल के लिए भी रहा नहीं जा रहा था और ना ही अर्चिता से रहा जा रहा था। मैंने अर्चिता को अपने नीचे लेटा दिया और अर्चिता के होठों को तब तक चूसता रहा जब तक वह पूरी तरीके से गरम नहीं हो गई।

अर्चिता ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और वह उसे हिलाने लगी। जब वह ऐसा करने लगी तो उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा और मुझे भी काफी ज्यादा आनंद आने लगा। अर्चिता खुश हो चुकी थी मैं उसे महसूस कर रहा था। अर्चिता की चूत की गर्मी बढ़ती जा रही थी। उसने मेरे लंड से मेरे वीर्य को बाहर निकाल दिया था जिससे कि मेरा वीर्य बाहर की तरफ को गिर गया और मैंने उसे अर्चिता के मुंह के अंदर ही गिरा दिया। मैंने अर्चिता को कहा तुम मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार तो हो? वह कहने लगी हां। मैंने अर्चिता की नाइटी को उतार दिया था और उसके स्तनों के बीच में अपने लंड को रगड़ने लगा। मैंने जब अर्चिता के पहाड़ जैसे स्तनों के बीच में अपने लंड को रगड़ना शुरू किया तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था और अर्चिता को भी बहुत मजा आने लगा था। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी वह मुझे कहने लगी मेरी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। अर्चिता और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। हम दोनों ही बहुत ज्यादा गर्म होने लगे थे मैंने अर्चिता के स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करना शुरू कर दिया। जब मैं अर्चिता के स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान कर रहा था तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और काफी ज्यादा आनंद आने लगा था। मैं और अर्चिता एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाते जा रहा थे।

अब मैंने काफी अर्चिता की चूत को चाटना शुरू किया वह मचलने लगी थी वह मेरे बालों को खींचने लगी। जब अर्चिता ऐसा करती तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगता और अर्चिता को भी मजा आ रहा था। अर्चिता ने मेरे बालों को खींचकर कहा मुझे मजा आने लगा है। मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और अर्चिता के अंदर की गर्मी भी अब काफी बढ़ने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। मैंने जब अर्चिता की चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाकर मुझे बोली मुझे मजा आ गया श। मैंने उसकी चूत के अंदर तक अपने लंड को घुसा दिया था और उसकी योनि के अंदर बाहर मेरा मोटा लंड आसानी से होने लगा था। जब मैं ऐसा कर रहा था तो अर्चिता को मजा आ रहा था और वह मुझे कहती मुझे और भी तेजी से धक्के मारो।

मैंने अर्चिता को तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे। मैंने जब अर्चिता को तेज गति से धक्के देने शुरू किए तो अर्चिता मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी लगातार बढ़ रही है। मैं अर्चिता को तेजी से चोदता जा रहा था। जब मैं अर्चिता को धक्के मारता तो उसकी सिसकारियां मे और भी बढ़ोतरी होती और वह मेरे बदन की आग को बढ़ाती जा रही थी। अब अर्चिता ने मेरे अंदर की गर्मी को इस कदर बढ़ा दिया था कि मैंने अर्चिता को कहा मैं तुम्हारी चूत में अपनी माल को गिराना चाहता हूं। मैंने अर्चिता की योनि के अंदर अपने माल को गिरा दिया जैसे ही मेरा माल अर्चिता की चूत के अंदर गिरा तो अर्चिता को बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। मैंने अर्चिता चूत में दोबारा लंड घुसा दिया। जब अर्चिता की चूत के अंदर मेरा लंड घुसा तो वह जोर से चिल्लाकर मुझे बोली मजा आ गया। 5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अर्चिता की चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया। मैंने अर्चिता की चूत में अपने माल को गिरा दिया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा।




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